बिजनौर। चुनाव आयोग ने अभी हाल ही में नूरपुर उपचुनाव की घोषणा करते हुए 28 मई को मतदान और 31 मई को मतगणना की तारीख घोषित कर दी है। इसके बावजूद अभी तक भाजपा ने अपना प्रत्याशी नूरपुर से घोषित नहीं किया है। वहीं, काफी मंथन के बाद इस सीट पर गठबंधन ने ऐसा प्रत्याशी उतारा है, जो दो बार चुनाव हार चुका है। इतना ही नहीं बाहरी होने की वजह से उसका विरोध भी शुरू हो गया है। ऐसे में गठबंधन के प्रत्याशी के लिए मुश्किल खड़ी होती दिख रही है। उधर, इस उपचुनाव को लेकर अब बस केवल तीन दिन ही नामांकन के बचे हैं। इसके बावजूद अभी तक किसी भी मुख्य पार्टी के प्रत्याशी ने नामांकन नहीं कराया है।
जामिया में रह चुके हैं छात्रसंघ अध्यक्ष सपा ने नूरपुर से नईमुल हसन को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) उन्हें अपना समर्थन देगी। नईमुल हसन दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र संघ अध्यक्ष रह चुके हैं। वह वर्ष 2000 में वहां छात्रसंघ अध्यक्ष रहे हैं। उसी समय उन्होंने छात्र राजनीति से पाॅलिटिक्स में कदम रखा।
दोनों बार भाजपा से हारे उत्तर प्रदेश में 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें नूरपुर सीट से ही सपा ने टिकट दिया था। उस चुनाव में भाजपा के विधायक लोकेंद्र चौहान ने 12000 से ज्यादा वोटों से उन्हें शिकस्त दी थी। नूरपुर सीट पर उस चुनाव में भाजपा के लोकेंद्र सिंह चौहान को 79 हजार वोट मिले थे जबकि सपा के नईमुल हसन को 66 हजार 436 वोट मिले थे। इससे पहले 2012 के विधानसभा चुनाव में भी सपा ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया था लेकिन वह उस समय भी भाजपा के लोकेंद्र चौहान से चुनाव हार गए थे। हालांकि, इसके बावजूद सपा ने उन्हें दर्जा प्राप्त मंत्री का तोहफा दिया था। उन्हें सपा के अध्यक्ष और पूर्व मंख्यमंत्री अखिलेश यादव का करीबी माना जाता है। स्योहारा से नईमुल की पत्नी भी नगर पालिका चैयरमैन रह चुकी हैं।
वहीं, सपा से नईमुल हसन को टिकट मिलने के बाद क्षेत्र में पार्टी के पदाअधिकारियों और कुछ मुस्लिम लोगों ने उनका विरोध करना भी शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में सोमवार को नूरपुर क्षेत्र में नईमुल हसन का लोगों ने पुतला फूंककर टिकट देने का विरोध किया था।
Hindi News / Bijnor / नूरपुर उपचुनाव: भाजपा से दो बार चुनाव हार चुके हैं अखिलेश यादव के यह करीबी, पार्टी में शुरू हुई बगावत