बसपा से बाहर किए जाने के बाद मृत प्राय कांग्रेस ने नसीमुद्दीन को होथोंहाथ लिया। कांग्रेस को नेताओं को उम्मीद थी कि नसीमुद्दीन के आने से पार्टी के अल्पसंख्यक वोट एक बार फिर से पार्टी से जुड़ सकते हैं। इसके साथ ही लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें बिजनौर से टिकट भी दे दिया। इसके बाद नसीमुद्दीन को जिताने के लिए प्रियंका गांधी ने भी जमकर खून-पसीना बहाया। इसके भी बाद नसीमुद्दीन न सिर्फ शर्मनाक हार मिली, बल्कि जमानत भी जब्त हो गई।
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गौरतलब है कि बिजनौर से गठबंधन की ओर से मलूक नागर बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में थे। वहीं, भाजपा के टिकट पर राजा भारतेन्द्र सिंह और कांग्रेस के टिकट पर नसीमुद्दीन ने मैदान में थे। लेकिन चुनाव में जनता ने नसीमुद्दीन को सिरे से नकार दिया। वह 25699 मतों के साथ तीसरे नम्बर पर रहे। वहीं, भाजपा के राजा भारतेन्द्र सिंह 488061 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे, जबकि गठबंधन की ओर से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे मलूक नागर ने 559824 मत लेकर जीत दर्ज की। गौरतलब है कि पश्चिमी यूपी में नसीमुद्दीन अमरोहा से सचिन चौधरी और संभल से मेजर जेपी सिंह जैसे गुमनाम नेताओं के बाद सबसे कम वोट हासिल करने वाले कांग्रेसी नेता साबित हुए हैं।