19 अक्टूबर यानी शुक्रवार के दिन पूरे भारत में दशहरे के त्योहार को धूमधाम से मनाने की तैयारी चल रही है। इसी दिन रावण के पुतले को जलाकर लोग इस त्योहार को मनाते चले आये हैं। इस त्योहार को जहां हिन्दुओं का बड़ा त्योहार माना जाता है। वहीं, दूसरी तरफ इस त्योहार में रावण के पुतले को बनाने वाले कोई और नहीं, बल्कि बिजनौर के मुस्लिम कारीगर हैं। ये मुस्लिम कारीगर आज से नहीं, बल्कि अपने बाप और दादा के जमाने से रावण बनाते चले आ रहे हैं। ये त्योहार बिजनौर में हिन्दू और मुस्लिम की एकता और मिसाल का प्रतीक भी है।
रावण का पुतला बनाने वाले हसीनुद्दीन और शफीक का कहना है कि वे लोग 1 महीने से रावण का पुतला बना रहे हैं। इस पुतले को बनाने में लगभग 90 हज़ार का खर्चा आ जाता है, जिसमें से 15 हज़ार के लगभग इन्हें बच जाते हैं। ये कारीगर बांस से रावण के पुतले को तैयार कर रहे हैं। इन रावणों की लंबाई लगभग 20 फ़ीट होंगी। अभी इन्हें तैयार किया जा रहा है। अंतिम रूप से तैयार होने के बाद विजय दशमी के दिन सुबह रामलीला मैदान में पहुंचाया जाएगा। शाम को इस रावण के पुतले को जलाकर समाज में बुराई पर अच्छाई की जीत का आम जनता में संदेश दिया जाएगा।