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बता दें कि शनिवार को हिंसा में मारे गए सुलेमान के भाई सुऐब ने पुलिस को तहरीर देते हुए आरोप लगाया था कि सुलेमान 20 दिसंबर को नमाज पढ़कर घर लौट रहा था। तभी तत्कालीन कोतवाल राजेश सोलंकी, शहर इंचार्ज आशीष तोमर व कांस्टेबल मोहित कुमार अपने तीन अज्ञात साथियों के साथ एजेंसी चौराहे पर पहुंचे। शोएब ने आरोप लगाया कि इस दौरान पुलिस वाले सुलेमान को खींचकर खास मंडी की गली में ले गए और गोली मार दी। इसके बाद पुलिसकर्मी सुलेमान को छोड़कर वहां से फरार हो गए। वहां पर मौजूद लोग उसे सीएचसी ले गए। जहां डाॅक्टरों ने सुलेमान को मृत घोषित कर दिया। इस घटना को लेकर एसपी देहात विश्वजीत श्रीवास्तव ने रविवार को सोशल मीडिया सेल के माध्यम से जानकारी देते हुए कहा कि इस मामले में शनिवार को मृतक सुलेमान के भाई सुऐब की तरफ से तहरीर दी गई थी, जिसमें पुलिस पर आरोप लगाया गया था कि पुलिस की गोली से सुलेमान की मौत हुई थी। तहरीर प्राप्त करके उनके परिजनों को रिसीविंग दे दी गई थी। उन्होंने बताया कि इस मामले में पहले से ही बलवाईयो के खिलाफ मुकदमा दर्ज है। इसलिए फिर से एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। मृतक सुलेमान के परिजनों की तहरीर को विवेचना में शामिल कर जांच कराई जा रही है। इस मामले में निष्पक्ष जांच करार्इ जाएगी। उन्होंने बताया कि पहला मुकदमा पुलिस के तरफ से ही दर्ज किया गया था। हालांकि इससे पहले एसपी देहात ने जानकारी देते हुए कहा था कि सुलेमान की मौत के मामले में तत्कालीन कोतवाल समेत 6 पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज किया गया है।