ड़ीईओ ने बताया कि घटना तकरीबन 2 बजे की है। उस समय पोटाकेबिन में बच्चे गहरी नींद में सो रहे थे। अचानक बॉस के बने स्ट्रक्चर में आग लग गई। आग की तपिश से कुछ बच्चो की नींद खुल गई और जान बचाने के लिए बच्चियां इधर-उधर इधर उधर भागने लगीं। सभी बच्चियां बाहर निकल गए लेकिन पांच वर्षीय मासूम की जलकर मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक मासूम लिप्सा यहां अध्ययनरत कक्षा आठवीं की छात्रा मंजुला उइके की भतीजी थी और दो दिनों पूर्व वह उस छात्रा क़े साथ यहां जिद करके रुक गई थी। घटना क़े दौरान उसे निकाला नहीं जा सका। आग की तेज लपटो ने देखते ही देखते उस मासूम को अपनी आगोश में ले लिया और वह पूरी तरह जलकर खाक हो गई। देखते ही देखते पूरा पोटा केबिन जलकर खाक हो गया। अधिकारियो क़े मुताबिक आग लगने का कारण अब तक अज्ञात है।
पोटाकेबिनो में फायर सेफ्टी क़े उपकरण नहीं नक्सली विरोध क़े कारण दक्षिण बस्तर क़े बीजापुर,दंतेवाडा,सुकमा और नारायणपुर जिलों में बांस क़े बने प्री फेब्रिकेटेड स्ट्रक्चर जिसे पोटा केबिन कहा जाता हैँ, क़े आवसीय विद्यालयों का निर्माण किया गया था। बीजापुर जिले में ऐसे 34 आवासीय विद्यालय हैँ जिनमे लगभग 12 हज़ार विद्यार्थी पढ़ते हैँ इनकी मियाद दस वर्ष मानी जाती है। प्रत्येक भवन की लागत उस वक़्त 75-75 लाख रुपए की थी। दक्षिण बस्तर में वैसे भी गर्मी ज्यादा होती है। यह जानते हुए बांस क़े इन स्ट्रक्चर में फायर सेफ्टी क़े कोई इंतज़ाम नहीं किए गए हैँ । बीजापुर जिले के यह पोटाकेबिन वर्ष 2009-10 में बने थे। इसकी मियाद पूरी होने क़े बाद इसे रिपेयरिंग करके संचालित किया जा रहा है।
चार वर्ष पूर्व करली पोटा केबिन में भी लगी थी आग दंतेवाडा जिले में चार वर्ष पूर्व करली स्थित पोटाकेबिन में भी आग लगने की घटना हुई थी। हालांकि यह गर्मियों की छुट्टियों क़े दौरान घटना हुई थी। इस दौरान बच्चे नहीं थे इसलिए कोई बड़ी घटना नहीं हुई लेकिन यहां काफ़ी नुकसान हुआ था। इससे भी प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया।
सीएम ने दी परिजनों को चार लाख की आर्थिक सहायता बीजापुर कलेक्टर अनुराग पांडे ने बताया कि प्रदेश क़े मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने पोटाकेबिन में आग लगने से एक बच्ची की मौत पर गहरा दुःख जताया है। उन्होंने मासूम के पिता आयतु उईका को 4 लाख रुपए की सहायता राशि स्वीकृत की है।