पारंपरिक व्यंजनों का ढाबा भी राजेश ने खोला
बस्तर में पारंपरिक व्यंजनों का कोई ढाबा नहीं था लेकिन राजेश ने जगदलपुर-दंतेवाड़ा रोड पर तिरथुम में आमचो बस्तर नाम से एक ढाबा खोला है। इसमें वे बस्तर के सीजनेबल फूड सर्व करते हैं। पारंपरिक खाने के शौकिन राजेश के ढाबे को खास बताते हैं। इस ढाबे की बनावट भी बस्तर के पारंपरिक घरों की तरह ही है।
बस्तर में पारंपरिक व्यंजनों का कोई ढाबा नहीं था लेकिन राजेश ने जगदलपुर-दंतेवाड़ा रोड पर तिरथुम में आमचो बस्तर नाम से एक ढाबा खोला है। इसमें वे बस्तर के सीजनेबल फूड सर्व करते हैं। पारंपरिक खाने के शौकिन राजेश के ढाबे को खास बताते हैं। इस ढाबे की बनावट भी बस्तर के पारंपरिक घरों की तरह ही है।
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राजेश बताते हैं कि उन्होंने एक दिन में 25 किलो चापड़ा चटनी(Bastar Chapda Chutney) बेची है। इसका स्वाद लोगों को सबसे ज्यादा भा रहा है। इसके अलावा लांदा भी दिल्ली के लोगों के लिए सबसे अनूठा है। उन्होंने पहली बार बस्तर से बाहर निकलकर यह स्टॉल लगाया है।
राजेश बताते हैं कि उन्होंने एक दिन में 25 किलो चापड़ा चटनी(Bastar Chapda Chutney) बेची है। इसका स्वाद लोगों को सबसे ज्यादा भा रहा है। इसके अलावा लांदा भी दिल्ली के लोगों के लिए सबसे अनूठा है। उन्होंने पहली बार बस्तर से बाहर निकलकर यह स्टॉल लगाया है।
क्या है चापड़ा चटनी और लांदा
चापड़ा चटनी बस्तर के जंगलों में मिलने वाली लाल चींटी(Bastar Chapda Chutney) से बनती है। इसके कई औषधीय गुण भी बताए जाते हैं। वहीं लांदा अनाज से बनता है। इसे बस्तर बीयर भी कहा जा सकता है। हालांकि बस्तर में यह एल्कोहल की श्रेणी में नहीं आता है।
चापड़ा चटनी बस्तर के जंगलों में मिलने वाली लाल चींटी(Bastar Chapda Chutney) से बनती है। इसके कई औषधीय गुण भी बताए जाते हैं। वहीं लांदा अनाज से बनता है। इसे बस्तर बीयर भी कहा जा सकता है। हालांकि बस्तर में यह एल्कोहल की श्रेणी में नहीं आता है।