शंकराचार्य ने यह भी कहा कि अन्य मुस्लिम और इसाई राष्ट्रों में जिन हिंदुओं का उत्पीड़न किया जा रहा है उन्हें शरण दी जानी चाहिए। नागरिकता संशोधन विधेयक को उचित ठहराते हुए उन्होंने कहा कि पहले समीक्षा करते हुए एक माहौल बनाकर नियम बनाते तो इतनी बर्बर हिंसा न होती।
उन्होंने कहा कि मुस्लिम और इसाई बहुल देशों में हिंदुओं के उत्पीड़न की खबरें दुख पहुंचाती है। संयुक्त राष्ट्र इस कार्रवाई के पहले चरण में भारत समेत नेपाल और भूटान को हिंदू राज्य का दर्जा दे। उन्होंने कहा कि नागरिकता का मुद्दा अनंतर्राष्ट्रीय है। इसके हल के लिए आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि 204 देश हैं। कई देश ईसाई बहुल तो 50 से ज्यादा देश मुस्लिम देश है। विश्व में जिन देशों में हिंदू रहते हैं और परिस्थितिवश वे वह देश छोड़ना चाहें तो उन्हें भारत, नेपाल और भूटान में बसाया जाए। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में एक न्यायपीठ हो जिसकी निगरानी संयुक्त राष्ट्र खुद करे। मुस्लिम राष्ट्र में कोई मुस्लिम पीड़ित है तो किसी अन्य मुस्लिम देश में उसे बसाया जाए।
उन्होंने पारसियों का उदाहरण दिया। सशर्त भारत ने उन्हें बसाया। वो सहिष्णु हैं, हिंदुओं का सम्मान करते हैं। शंकराचार्य ने धर्म परिवर्तन की घटनाओं को दुखद बताया। ईसा मसीह के अनुयायी पूरे विश्व में भटक रहे थे। भारत ने उन्हें केरल कालीकट में बसाया। पर उन्हीं लोगों ने हिंदुओं को ईसाई बनाना शुरू कर दिया। नागरिक संशोधन विधेयक पर शंकराचार्य ने कहा कि नियम पारित होने से पहले यदि समीक्षा की जाती और तो शायद हिंसा न होती। भारत में लोकतंत्र विफल है। संयुक्त राष्ट्र नागरिकता का विषय खुद ले क्यों कि यह एक विश्वव्यापी समस्या है।