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पुलवामा हमले के बाद बयान देना इस प्रोफेसर को पड़ा भारी, पाकिस्तान पर हमले का किया विरोध तो छिनी गई नौकरी

टीवी में बहस के दौरान उनका बयान आते ही उन्हें 24 घंटे के भीतर पद छोड़ने का निर्देश दिया गया। टीवी पर यह बहस 18 फरवरी को कराई गई थी…

भुवनेश्वरFeb 26, 2019 / 04:14 pm

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madhumita rai file photo

(भुवनेश्वर): पुलवामा हमले पर टीवी पर चर्चा के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध का प्रबल विरोध करने वाली प्रोफेसर मधुमिता राय को नौकरी से हाथ धोना पड़ा। हालांकि उनका कहना है कि उन्होंने सिर्फ यही कहा कि युद्ध समस्या का हल नहीं है। इसे राष्ट्र विरोधी मानते हुए कीट युनिवर्सिटी प्रबंधन ने इस्तीफा मांग लिया।

 

ओ़डिया चैनल कनक टीवी पर पुलवामा मुद्दे पर पाकिस्तान के विरुद्ध सैन्य कार्रवाई पर बहस की जा रही थी। मधुमिता राय कीट (कलिंग इंस्टीट्यूट आफ इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग) में सहायक प्रफोसर के पद पर तैनात थी। वह ग्राम्य विकास प्रबंधन पर डेवलेपमेंट थ्योरी पढ़ाती थी। मजे की बात यह कि चैनल के मालिक सौम्य रंजन पटनयाक और कीट यूनिवर्सिटी के संस्थापक डा.अच्युत सामंत दोनों ही राज्य सभा में बीजेडी से सदस्य हैं।

 

टीवी में बहस के दौरान उनका बयान आते ही उन्हें 24 घंटे के भीतर पद छोड़ने का निर्देश दिया गया। टीवी पर यह बहस 18 फरवरी को कराई गई थी। बहस में उनके साथ सेना की रिटायर्ड कर्नल पूर्णचंद्र पटनायक थे जो युद्ध के विरोध में बोल रहे थे। प्रोफेसर मधुमिता का कहना है कि 20 फरवरी को कीट प्रबंधन ने त्यागपत्र देने को कहा। यह भी कहा कि 24 घंटे के भीतर युनिवर्सिटी छोड़ दो। उनका कहना है कि उन्होंने अगले दिन ही नौकरी से इस्तीफा दे दिया।

 

यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता का कहना है कि सहायक प्रोफेसर मधुमिता के खिलाफ लोगों ने शिकायतें भेजी कि वह टीवी पर राष्ट्र विरोधी बाते बोल रही हैं। वह पुलवामा प्रकरण पर पाकिस्तान पर हमले की बात का पुरजोरी से विरोध कर रही हैं। भारतीय सेना का मनोबल गिराने वाला बयान दे रही हैं। मधुमिता का कहना है कि उन्हें अनुशासन समिति ने बुलाया और 24 घंटे के भीतर पद छोड़ने को कहा। उनका दावा है कि उन्होंने चैनल पर बहस के दौरान राष्ट्र विरोधी बातें नहीं बोलीं। वह तो युद्ध के विरुद्ध हैं।

 

उनका यह भी कहना है कि उन्हें कोई चेतावनी तक नहीं दी गयी। और फिर उनकी नियुक्ति की शर्तों में साफ है कि एक माह का नोटिस दिया जाएगा। युनिवर्सिटी ने यह औपचारिकता तक नहीं निभायी। उनका कहना है कि वह स्थायी कर्मचारी हैं। इसके बाद इस्तीफा मांग लिया गया जो मैने दे दिया। उनका कहना है कि युद्ध किसी भी समस्या का हल नहीं है, अपने इस बयान पर वह कायम हैं। उनका कहना है कि उनके इस बयान पर किसीने भी आपत्ति नहीं जताई। यदि जताई होती तो उनके फोन पर कॉल आती, मैसेज, व्हाट्सएप आता। कुछ भी तो नहीं आया। मधुमिता का कहना है कि यदि किसी बयान पर किसी को नौकरी से बाहर कर दिया जाता है तो इसका मतलब है कि हम लोग लोकतांत्रिक देश में नहीं रह रहे हैं।

 

कीट की निदेशक जनसंपर्क श्रृद्धांजलि नायक का कहना है कि एचआर विभाग से उन्हें पता चला है कि प्रोफेसर मधुमिता राय ने निजी कारणों से इस्तीफा दिया है। दूसरी तरफ कीट के संस्थापक बीजेडी से राज्यसभा सदस्य डा.अच्युत सामंत ने सरकुलर जारी करते हुए आदेशित किया है कि किसी भी संवेदनशील मुद्दे पर मीडिया में बयान न जारी किया जाए। यदि कोई मीडिया से रूबरू होना चाहता है तो पहले अनुमति ली जानी चाहिए।

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