संयुक्त आपरेशन पुलिस अधीक्षक सारा शर्मा के नेतृत्व में चलाया गया। पुलिस अधीक्षक के साथ मोहान तहसीलदार संघमित्रा देवी, थाना इंचार्ज सुजीत नायक और एक्साइज विभाग के अधिकारी आर.उदयगिरि की टीम ने छापा मारकर गांजा खेतों पर सीज किया और उसमें आग लगवा दी। सबडिविजनल पुलिस अफसर अशोक कुमार महंति ने बताया कि गांजा की कीमत 15 करोड़ 30 लाख रुपया है। राज्य में 2018 में नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्टेंस एक्ट के तहत 102 केस दर्ज किए गए और 17 हजार 118 किलोग्राम गांजा सीज किया गया। कुल 179 तस्कर गिरफ्तार किए गए इनमें 89 ओडिशा के बाहर राज्यों के हैं।
इसी तरह चालू साल में 15 अक्टूबर 2019 तक 191 तस्करों को हिरासत में लिया गया। इनमें से 60 बाहर के राज्यों के थे। कुल 19,744 किलोग्राम गांजा सीज किया गया। बताते हैं कि गांजा बेचने वाले तस्कर इस कारोबार के लिए ओडिशा में सक्रिय रहते हैं। यहां पर ये लोग 4 से 5 हजार रुपया किग्रा. खरीद कर 25 से 30 गुना ज्यादा कीमत पर बेचते हैं। बेतहाशा मुनाफा भी ओडिशा को गांजा उत्पादन का हब बनाने में मदद करता है।
ट्रकों में लोड करके गांजा आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखंड, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और उत्तर क्षेत्र के राज्यों में भेजा जाता है। यह काम बहुत लुके छुपे किया जाता है। गांजा की तस्करी को माओवादियों की भी इनकम का एक बड़ा सोर्स बताया जाता है। इन राज्यों से विदेशो में भी गांजा बेचा जाता है। ओडिशा में अनुगुल, देवगढ़, संबलपुर, रायगढ़ा, बौद्ध, गजपति, मलकानगिरि, कंधमाल और नयागढ़ गांजा उत्पादन और तस्करी के मुख्य स्थान हैं।
गाजा तस्करी से जुड़ी कुछ घटनाएं साबित करती हैं कि ओडिशा में यह धंधा पनपता जा रहा है। इसी आठ जून 2019 को कोरापुट में अंतर-राज्यीय गिरोह का पर्दाफाश हुआ था। इस मामले में 34 लोगों की गिरफ्तारी हुई और दस कुंतल गांजा बरामद किया गया था। दस कुंतल गांजा की कीमत तीन करोड़ बतायी जाती है। मुखबिर की निशानदेही पर चार स्थानों पर छापा मारा गया। जैपुर थाना प्रभारी सागरिकानाथ के अनुसार गिरफ्तार किए गए लोग ओडिशा, मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़ के थे। इसी तरह 12 अप्रैल 2018 को ट्रक में जा रहे दो कुंतल गांजा बरामद किया जो कि पैकेटों में रखा गया था।
जानकारी के अनुसार यह आंध्र के इच्छापुर से भुवनेश्वर लाया जा रहा था। चौंकाने वाली बात तो यह कि 2016-17 में देश में 8,500 एकड गांजा की फसल नष्ट की गयी थी। इसमें 4,728 एकड़ उत्पादन का हिस्सा ओडिशा का था। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के सूत्रों के अनुसार देश में सीज किए गए कुल 1,90,000 किग्रा.गांजा में से 80,000 किग्रा तो सिर्फ ओडिशा में सीज किया गया था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ओडिशा गांजा उत्पादन में कितना आगे है। देश भर में गांजा का कुल सीजर का 42 प्रतिशत ओडिशा में सीज किया गया। ओडिशा में नौ जिले ऐसे हैं जहां गांजा की खेती धड़ल्ले से की जाती है। ये जिले हैं अनुगुल, देवगढ़, संबलपुर, रायगढ़, बौद्ध, गजपति, मलकानगिरि, कंधमाल और नयागढ़ हैं। प्रवर्तन एजेंसी सूत्रों के अनुसार गांजा, भांग हिमाचल, ओडिशा और उत्तर-पूर्वी राज्यों नगालैंड, मणिपुर मे उगाया जाता है। लोग इसे पीने के लिए अपने घर के आंगन में ही उगा लेते हैं। गांजा तस्करी का अंतर्राज्यीय गिरोह न केवल देश के राज्यों में तस्करी करता है कि बल्कि नेपाल में भी गिरोह सक्रिय बताया जाता है।
सीमावर्ती क्षेत्रों में सख्ती होने के कारण लोगों ने खेतों में उगाकर तस्करी शुरू कर दी। एक्साइज सूत्रों के अनुसार केरल, आंध्र के लोगों सबसे पहले 1990 में ओडिशा के अनुगुल जिले के लोगों को गांजा उगाने को प्रोत्साहित किया। फिर तो यह रोग संबलपुर, देवगढ़ तक फैल गया। जंगली इलाकों में पुलिस का मूवमेंट कम होने से इसकी खेती ओडिशा में धड़ल्ले से की जा रही है। पर हाल ही में सख्ती बढ़ने से गांजा उगाने का काम जैपुर, मलकानगिरि, रायगढ़ा, बौद्ध, कंधमाल, गजपति की ओर शिफ्ट कर दिया गया। गरीब लोगों के लिए गांजा उगाकर बेचना धनोपार्जन का ठीकठाक माध्यम बन गया। एक एकड़ धान की फसल से यदि सारे खर्चे निकाल कर 10 हजार रुपया कमाया जा सकता है तो उसी खेत में गांजा उगाकर 15 लाख तक कमाया जा सकता है। यह कार्य लुकेछुपे चल रहा है।