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आजाद हिंद फौज की लेफ्टीनेंट मानवती आर्या हुईं 100 साल की, नेताजी की मौत के रहस्य को किया था उजागर

आजादी की जंग के दौरान नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने इन्हें लेफ्टीनेंट की उपाधि दी थी। वह आजाद हिंद फौज की रानी झांसी रेजीमेंट में सक्रिय थीं…

भुवनेश्वरOct 31, 2019 / 03:41 pm

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आजाद हिंद फौज की लेफ्टीनेंट मानवती आर्या हुई 100 साल की, नेताजी की मौत के रहस्य को किया था उजागर

(कटक,महेश शर्मा): जयहिंद का उद्घोष उनके कानों में पड़ते ही वह सचेत होकर उस दिशा की ओर ताकने लगती है जहां से आवाज आई है। ऐसा लगता है कि जैसे वह पुरानी यादों में खो गयीं जब नेताजी सुभाषचंद्र बोस देश की आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे। पांच वर्ष की उम्र में ही नेताजी उनके हीरो हो गए थे। जी हां, बात हो रही है आजाद हिंद फौज की लेफ्टीनेंट रहीं मानवती आर्या की जिन्होंने देश सेवा में अपने जीवन के 99 वर्ष पूरे करके 100वें वर्ष में कदम रखा। आज भी वह वाकर के सहारे उठकर इस कमरे से उस कमरे की ओर बिना किसी की मदद के चली जाती हैं। उनके पति डा.केसी आर्य भी स्वतंत्रता सेनानी थे।


नेताजी से जुड़ी किताबें लिखी…

30 अक्टूबर 1919 को उनका जन्म बर्मा (अब म्यानमार) में हुआ था। इस महान सेनानी के खाते में कुछ चर्चित किताबें भी हैं जिन्हें ओडिशा के कटक स्थित नेताजी सुभाषचंद्र बोस संग्रहालय में रखा जाएगा। इन्हीं में वह किताब जजमेंट भी होगी जिसमें नेताजी की मौत विमान दुर्घटना में न होने का दावा किया गया है। मानवती जी ताजिंदगी मानती रही थी कि नेताजी की मौत का रहस्य अब रहस्य नहीं है। यूपी के फैजाबाद में गुमनामी जिंदगी बिता रहे गुमनामी बाबा के नाम से ख्यातिलब्ध व्यक्ति ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस हैं। यह बात उन्होंने साक्ष्य के आधार पर पुरजोर तरीके से कही थी।

 

जजमेंट किताब के सहलेखक रामकिशोर वाजपेयी ने यह तथ्य बताया। इसका उल्लेख किताब में है। उनकी किताबें नेताजी की स्मृतियों से जुड़ी हैं। जजमेंट के सह लेखक वाजपेयी बताते हैं कि यह किताब आजाद हिंद फौज की सेनानी लेफ्टीनेंट मानवती आर्या के बताए तथ्यों के आधार पर लिखी गयी है। लेफ्टीनेंट मानवती आर्या ने बाल साहित्य की भी रचना की और बच्चों के लिए कई छोटी-छोटी पुस्तकें लिखीं जिन्हें मुफ्त बंटवाती थी। उनकी चर्चित पुस्तक बातचीत की कला चर्चित रही। लोक सेवक मंडल के अध्यक्ष और दीपक मालवीय बताते हैं कि मानवती जी की किताबें कटक स्थित उनके पत्र की विशाल लायब्रेरी में भी रखीं गई हैं।

 

ऐसे बनी लेफ्टीनेंट…

मानवती आर्या फिलहाल अपने पुत्र के साथ कानपुर में रहती हैं।पिछले दिनों कटक आए जजमेंट के सह लेखक रामकिशोर वाजपेयी बताते हैं कि आजादी की जंग के दौरान नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने उन्हें लेफ्टीनेंट की उपाधि दी थी। वह आजाद हिंद फौज की रानी झांसी रेजीमेंट में सक्रिय थीं। यही नहीं वह आजाद हिंद फौज की महिला शाखा की पहली सचिव भी रही हैं। जंग में जाने की इच्छा के बाद वह रानी झांसी रेजीमेंट की लेफ्टीनेंट कहलायीं। लोक सेवक मंडल के अध्यक्ष दीपक मालवीय, इतिहासकार रामकिशोर वाजपेयी, शिवकुमार दीक्षित, कमल कुमार तिवारी, सर्वेश पांडेय निन्नी पांडेय आदि उनसे मिलने उनके आवास पर गए।


जय हिंद की आवाज पर हो जाती है सचेत…

दीपक मालवीय कहते हैं कि स्वतंत्रता सेनानी मानवती आर्या अभी जयहिंद की आवाज सुनते ही रिसपांस करती हैं। उनका जीवन बच्चों की पढ़ाई, बाल अधिकारों के लिए लड़ते बीता। उनकी पुस्तकों में प्रतिष्ठा और जजमेंट चर्चित रहीं। जजमेंट के लेखक हालांकि रामकिशोर वाजपेयी हैं पर उसका कंटेंट मानवती जी ने उपलब्ध कराया था।


प्लेन क्रेश में नहीं हुई नेताजी की मौत…

बकौल वाजपेयी पुस्तक लेखन के दौरान मानवती जी ने बताया था कि कांग्रेस के सत्ता में आते ही आजादी में नेताजी के योगदान में कटौती की जाती रही। इतिहास के पन्नों में नेताजी मानो जैसे दफ्न हो गए हों। यह बताते हुए वह दुखी हो जाती थी। देश के लिए नेताजी के समर्पण के प्रति उनका भाव उनकी किताबों में दिखता है। नेताजी सुभाषचंद्र बोस पर उनकी पुस्तक जजमेंट के मुताबिक नेताजी की मृत्यु हवाई जहाज दुर्घटना में नहीं हुई। लेकिन वह इस पर खामोश थीं कि हवाई दुर्घटना में नहीं तो फिर नेता जी कैसे और कहां गायब हो गए।


सह लेखक वाजपेयी तो मानवती जी के हवाले से यहां तक बताते हैं कि कैप्टन लक्ष्मी सहगल वर्ष 1997 से पहले मुखर्जी आयोग के सामने बयानों में नेता जी की मौत हवाई दुर्घटना में होने से इंकार करती रहीं पर बाद में बयान बदला। किन परिस्थितियों में, पता नहीं। कैप्टन सहगल भी इस दुनिया में नहीं हैं। मानवती जी के परिजन बताते हैं कि वह कानपुर के एक प्रतिष्ठित स्कूल शीलिंग हाउस में प्रधानाचार्या रही हैं। उनका जीवन बाल उत्थान में बीता। खासतौर पर गरीब और बस्तियों के बच्चों की एजूकेशन, खेलकूद आदि की उन्ह‍ॆं बहुत परवाह रहती थी।

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