धंसी खदान, दबे लोग
दरअसल, 23 जुलाई को अनुगुल के भरतपुर क्षेत्र में एमसीएल (महानद कोलफील्डस लिमिटेड) की कोयले की खदान धंस गई थी। घटना के समय क्षेत्रीय लोगों का कहना था कि इसमें बड़ी संख्या में लोग दबे है। एमसीएल ने दावा किया था कि हादसे में चार लोगों की ही मौत हुई है। आज पांचवां शव मिलते ही इस दावे की पोल खुल गई। इस शव की पहचान भी नहीं हो पाई है। आज घटना के 14 दिन बाद भी शवों की बरामदी का सिलसिला जारी है। वहीं और शवों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है।
बिजली उत्पादन ठप
एमसीएल की खदानों में कोयला खनन और लदान का काम पूरी तरह 14वें दिन भी ठप रहा। सोमवार को प्रदर्शन करने वालों का नेतृत्व सौभाग्य चंद्र प्रधान (इंटक), शंकर प्रसाद बेहरा (एचएमएस), संजय कुमार माझी (बीएमएस), चतुर्भुज दास (एटक) ने किया। खदानों में हड़ताल के कारण कोयला आपूर्ति रूकी हुई है जिसकी वजह से एनटीपीसी के बिजली उत्पादक प्लांट में बिजली उत्पादन तीन हजार मेगावाट से घटकर 700 मेगावाट ही रह गया है। यहां बनी बिजली कर्नाटक और तमिलनाडु को भेजी जाती है।
अब तक इन लोगों के मिले शव
पता चला है कि 20 कर्मचारी इस हादसे में फंसे थे। इससे पहले पहले तीन शव समूचे मिले थे जबकि एक शव के अंग के कुछ हिस्से मिले थे जिनमें एक अंग डीएनए को भेजा गया है। बाकी हिस्से लापता गार्ड के परिजनों को यह कहकर दे दिए गए कि यह अंग उसी गार्ड के हैं। शव के हिस्सों को लेकर गांव में गार्ड के परिजनों ने अंत्येष्टि कर दी। अब तक मिले शवों की पहचान पिपुन बिस्वाल श्रमिक गांव कुकुडांगा, रश्मिरंजन बेहरा सुपरवाइजर गांव गोबारा, राजकिशोर महापात्रा पंप खलासी, रमेश जेना सिक्योरिटी गार्ड के रूप में हुई थी। जेना का शव टुकड़ों में पाया गया था।
30 सितंबर को केंद्र सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी टीम
केंद्र सरकार ने घटना की गंभीरता को संज्ञान में लेते हुए जांच दल भेजा था। केंद्रीय खान मंत्रालय की तरफ से उपमहानिदेशक सुबरो बागची के नेतृत्व में 7 सदस्यीय जाँच दल अनुगुल पहुंचा था। बागची ने एमसीएल अधिकारियों के साथ भरतपुर कोयला खान (घटनास्थल) का निरीक्षण किया और अधिकारियों के साथ मीटिंग भी की। बागची ने बताया कि कोयला खान दुर्घटना की जांच रिपोर्ट वह 30 सितम्बर तक केंद्र सरकार को सौंप देंगे।