राजधानी भोपाल के आसपास बड़ी संख्या में एडवेंचर स्पॉट्स ( destinations ) हैं, जहां बारिश के मौसम ( monsoon ) में भीड़ बढ़ जाती है। यहां की हरियाली और झरने भी दुनियाभर में फेमस हैं।
यह है ट्रैकिंग स्पॉट्स
भोपाल के 75 किलोमीटर के दायरे में बुदनी, कठौतिया, केरवा डैम, कोलार डैम, हलाली डैम, अमरगढ़ वाटर फॉल ( bahubali waterfall ), समरधा, गिन्नौरगढ़, चिड़ीखो, चिड़ियाटोल, महादेवपानी और भूतों का मेला ऐसे स्पाट्स हैं, जहां ट्रैकिंग के जरिए ही जाया जाता है। इन लोकेशन पर जाने के लिए यूथ हॉस्टल एसोसिएशन के जरिए ही जाया जा सकता है। इंटरनेशनल स्तर के पर्वतारोही संजय मधुप कहते हैं कि इन ट्रैकिंग स्पॉट्स पर प्रशिक्षित लीडर के नेतृत्व में ही जाना चाहिए। प्रतिभागियों में भी सभी लोग मेडिकल फिट होना जरूरी होता है। किसी भी अनजान स्पाट पर नहीं जाना चाहिए। साथ ही शासन प्रशासन की अनुमति और उन्हें सूचित करके ही जाना चाहिए।
सबसे खतरनाक है बाहूबली झरना
भोपाल से 55 किमी दूर रायसेन जिले में हैं अमरगढ़ वाटर फॉल के नाम से प्रसिद्ध है यह झरना। बारिश में जब यह झरना धुआंधार हो जाता है तो लोग इसे बाहूबली झरना भी कहते हैं। क्योंकि फिल्म बाहूबली में दिखाए गए झरने की तरह ही यह नजर आता है। कुछ लोग पचमढ़ी के बी फाल की तरह ए-फॉल भी कहते हैं। यह जगह शाहगंज के पास खटपुरा गांव से 5 किमी दूर पहाड़ों के बीच है।
बुदनी के जंगल में सबसे रोमांचक है यह ट्रैक
विंध्याचल पर्वत माला में आते हैं बुदनी के पहाड़। यह भोपाल से करीब 65 किमी दूर है। घने जंगल के कारण यहां हरियाली तो है ही और जंगली जानवर भी कम नहीं है। हबीबगंज स्टेशन से ट्रेन द्वारा पहुंचा जा सकता है। मिडघाट स्टेशन पर उतरने के बाद करीब 800 फीट ऊंचे पहाड़ पर चढ़ाई कराई जाती है। ऊपर पहुंचने के बाद प्राकृतिक झरना देखने को मिलता है। साथ ही बाबा मृगेंद्र नाथ का छोटा सा मंदिर है जो कई किलोमीटर दूर से ही नजर आ जाता है। नर्मदा का विहंगम दृश्य नजर आता है। यहां से नर्मदा नदी को आप करीब 40 किलोमीटर दूर तक अपना आंचल फैलाए देख सकते हैं। इसी पहाड़ी से रेलवे ट्रेक का सर्पिलाकार रास्ता अपने आप में अनोखा दृश्य निर्मित करता है। यह मंदिर बुदनी रेलवे स्टेशन से नजर आ जाता है।
रहस्यमय है गौंड राजा का किला
रातापानी सेंचुरी के बीच है गिन्नौरगढ़ किला। यह गौंड राजा का किला है। चारों तरफ जंगल और बीच में पहाड़ी पर स्थित यह किला रहस्यमय है। पहाड़ी रास्तों से जाने पर ही दुर्लभ और बेशकीमती प्राचीन प्रतिमाओं को देखा जा सकता है। यह स्थान भी भोपाल से 55 किलोमीटर दूर स्थित देलाबाड़ी में है। यहां फारेस्ट विभाग की एंट्री फीस देकर भीतर जाया जाता है। हालांकि यह किला बारिश में बंद कर दिया जाता है। यह 2 अक्टूबर के बाद ही खोला जाता है।
रिवर क्रॉसिंग के लिए खास जगह
समरधा ट्रैक भोपाल से 30 किमी दूर समरधा के जंगल में है। यहां पर ट्रैक करने के लिए फारेस्ट गेस्ट हाउस से फीस जमा करने के बाद ही पहुंचा जा सकता है। यहां भी दुर्गम रास्ते और घने जंगलों में वन्य जीव रहते हैं। ट्रैकिंग के साथ ही यहां बरसाती नदियों को भी पार करना रोमांचकारी होता है। यहीं से महादेवपानी के लिए भी रास्ता है। दस किमी का ट्रैक पूरा करने के बाद रायसेन जिले का महादेवपानी झरना भी आप देख सकते हैं।
कोलार डैम के ट्रैक पर भी है रोमांच
यह ट्रैक भी सैलानियों की पसंद बना हुआ है। कोलार डैम से पहले जंगलों में प्रवेश करने के बाद बरसाती झरने का लुत्फ लेते हुए जाने का रोमांच यहां मिलता है। खासबात यह है कि इस ट्रैक पर बहते पानी के रास्ते से ही जाना पड़ता है। इसी स्थान पर कई जगह रीवर क्रॉसिंग के भी स्पॉट हैं। जुलाई, अगस्त और सितंबर में यहां कई संग