भोपाल

जनरल वार्ड में मरीजों-अटेंडरों के सामने कर दी महिला की डिलीवरी, प्राइवेट पार्ट में ही छोड़ दिया कॉटन

कोलार सीएचसी में चिकित्सकों और स्टाफ की लापरवाही से एक प्रसूता की जान पर बन आई। हैरान कर देंगे पीड़िता के आरोप।

भोपालMay 25, 2023 / 08:48 am

Faiz

जनरल वार्ड में मरीजों-अटेंडरों के सामने कर दी महिला की डिलीवरी, प्राइवेट पार्ट में ही छोड़ दिया कॉटन

वैसे तो सरकार की तमाम सख्तियों के बावजूद मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्थाओं और प्रबंधकीय लापरवाहियों के तमाम मामले सामने आते रहते हैं। लेकिन इस बार राजधानी भोपाल में स्थित कोलार सीएचसी में चिकित्सकों और स्टाफ की लापरवाही से एक प्रसूता की जान पर बन आई। आलम ये था कि, ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर अपनी ड्यूटी खत्म होने का हवाला देते हुए दर्द से कराहती गर्भवती को छोड़कर चली गईं। इसपर भी बस न चला तो स्टाफ ने महिला की डिलीवरी जल्दी कराने के लिए प्राइवेट पार्ट में चीरा तो लगाया ही पर टांके लगाने के बाद कॉटन – बैंडेज प्राइवेट पार्ट में ही छोड़ दिये। इस गंभीर लापरवाही का खुलासा 3 दिन बाद हुआ।


डिलिवरी के बाद तीन दिनों तक महिला दर्द से कराहती रही, लेकिन जब तकलीफ लगातार बढ़ती गई तो परिजन उसे निजी अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां पड़ताल में पता चला कि, डिलिवरी करने वाले डॉक्टर ने महिला के प्राइवेट पार्ट से कॉटन और बैंडेज निकाले ही नहीं थे। इस तरह तीन दिन बाद लापरवाही पूर्वक छोड़ दी गई कॉटन को निकाला गया। ऐसे में अगर महिला को निजी असपताल न ले जाया जाता तो शायद परिवार को अस्पताल की लापरवाही का भुगतान महिला की जान गवाकर भुगतना पड़ता। फिलहाल, इस लापरवाही की लिखित शिकायत महिला के परिजन ने सीएचसी प्रभारी डॉ. रश्मि वर्मा से की है।

 

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पुरुषों के सामने डिलीवरी कराने का आरोप

आपको बता दें कि, भोपाल के कोलार इलाके में रहने वाले देवेंद्र सिंह अपनी पत्नी शिखा को 17 मई की दोपहर करीब 1 बजे कोलार सीएचसी लेकर पहुंचे थे। यहां उन्होंने ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर आभा शुक्ला को दिखाया। चेकअप के बाद डॉक्टर आभा ने कहा कि, अभी डिलीवरी में टाइम लगेगा। इसके बाद नर्सिंग स्टाफ ने महिला को जनरल वार्ड में भर्ती कर दिया। यहां देवेंद्र से कहा गया कि, पत्नी को कुछ खिला दें। इसपर देवेंद्र खाना लेने चले गए। लेकिन इस दौरान महिला को तेज दर्द हुआ और जनरल वार्ड में ही डिलीवरी हो गई। महिला का आरोप है कि, उस दौरान वार्ड में अन्य मरीज और उनके अटेंडेंट भी मौजूद थे।


कोलार सीएचसी में नहीं था ड्यूटी डॉक्टर, मजबूरन निजी अस्पताल पहुंचे

सीएचसी प्रभारी डॉ. रश्मि वर्मा से की गई शिकायत में देवेंद्र ने ये भी लिखा है कि, 17 मई को डिलीवरी हुई, जिसके बाद से उसकी पत्नी की तकलीफ में कोई कमी नहीं हुई। बावजूद इसके 19 मई को उसकी छुट्टी कर दी गई। लेकिन, 21 मई को उसे पेशाब आना भी बंद हो गया। इसपर देवेंद्र उसे नजदीक के निजी अस्पताल लेकर पहुंचा, वहां दी गई दवाओं से उसे पेशाब तो हो गया, लेकिन अगले दिन फिर वही समस्या बन गई। इसपर देवेंद्र पत्नी को लेकर फिर से कोलार सीएचसी पहुंचा, लेकिन यहां स्टाफ ने बताया कि, ड्यूटी पर कोई डॉक्टर नहीं हैं। फिर देवेंद्र दर्द से कराहती अपनी पत्नी को लेकर निजी अस्पताल पहुंचा, जहां परीक्षण में पता चला कि, महिला के प्राइवेट पार्ट में कॉटन-बैंडेज छूटी हुई है, जिसे निजी अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा निकाला गया।

 

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डॉक्टर ने कहा- मेरी ड्यूटी खत्म हो गई है

अपनी शिकायत पीड़िता के पति ने ये भी आरोप लगाया कि, डॉ. आभा का कहना था कि, ‘मेरी ड्यूटी खत्म हो गई है, आप इन्हें जेके अस्पताल ले जाओ।’ इसपर देवेंद्र ने डॉ. आभा से कहा कि, ‘पिछले 9 महीनों से आप ही को दिखा रहे हैं, अब जेके अस्पताल क्यों ले जाएं।’ देवेंद्र ने ये भी आरोप लगा कि, इसपर डॉ. आभा ने नर्स से कहा कि, ‘आप डिलीवरी करा देना और खुद अस्पताल से चली गईं।’


क्या कहचे हैं जिम्मेदार ?

मामले को लेकर कोलार सीएचसी प्रभारी डॉक्टर रश्मि वर्मा ने जवाब दिया कि, अस्पताल में मेडिकल ऑफिसर्स का अबाव है। ड्यूटी के अलावा हम लोगों की ऑनकॉल ड्यूटी पर भी बुलाते हैं। शिखा के केस में परिजन छुट्टी जल्दी करने का दबाव बना रहे थे। ऐसे में संभव है कि, जल्दबाजी में कॉटन प्राइवेट पार्ट में छूट गया हो।

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