अंग्रेजों के दमन के साथ ही शुरू हो गया था जनजातियों का संग्राम
भोपाल। स्वराज संस्थान संचालनालय द्वारा 1857 मुक्ति संग्राम दिवस के अवसर पर स्वराज वीथि में स्वाधीनता संग्राम में जनजातीय प्रतिरोध पर केन्द्रित चित्र प्रदर्शनी आदि विद्रोही का आयोजन किया जा रहा है। यह एग्जाीबिशन 17 मई तक चलेगी।
विजिटर्स रोजना दोपहर 2 से शाम 7 बजे तक इसे देख सकेंगे। एग्जीबिशन में संन्यासी विद्रोह, चाकमा विद्रोह, गंजाम का संघर्ष, सुबान्दिया विद्रोह, चोआड़ विद्रोह, भील विद्रोह, आदिवासियों का मोर्चा, मेर विद्रोह, पागलपंथी विद्रोह, गदाधरसिंह का विद्रोह, महान मुक्ति संग्राम, कोल विद्रोह, भुमकाल विद्रोह, पांड्यगारों का विद्रोह, ताना बाना भगत, बिरसा विद्रोह सहित अनेक विद्रोहों को दिखाया गया है।
एग्जीबिशन की खास बात यह है कि इस चित्रों को जनजातियों के कलाकारों ने ही बनाया है।आर्टिस्ट अजय उर्वेती बताते हैं कि सामाजिक-आर्थिक दमन और अपमान के विरुद्ध आदि विद्रोहों का सिलसिला अंग्रेजों के देश में काबिज होने के साथ-साथ ही आरंभ हो चुका था। हमने पेंटिंग के माध्यम से इन विद्रोहियों के संघर्ष की दास्तां को दिखाने का प्रयास किया है। ननकुसिया श्याम बताते हैं कि मैंने अपने चित्र से कछारी विद्रोह के महानायक वीर शंभूदान वीरता को दिखाया है। वहीं, वेंकटरमन सिंह श्याम ने चटगांव के चाकमा विद्रोह पर केंद्रित चित्र बनाया है।
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