भोपाल

सर्दियों की छुट्टियों का मजा भोपाल में, इन टूरिस्ट स्पॉट पर घूमते आप गुनगुना सकते हैं ये हंसी वादियां, ये खुला आसमां…

हर 10 किलोमीटर के रास्तों में कांकरीट तो हर 10 किलोमीटर के सफर में घने जंगलों का मजा आप भोपाल में ही ले सकते हैं। पत्रिका.कॉम आपको बता रहा है भोपाल के ऐसे ही टूरिस्ट स्पॉट के बारे में जहां घूमते हुए आपका दिल एक गीत की इस पंक्ति को जरूर गुनगुनाएगा…

भोपालDec 13, 2022 / 05:24 pm

Sanjana Kumar

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भोपाल। विंटर वेकेशन शुरू होने को हैं। नया साल नजदीक है। तो नये साल के स्वागत में सर्दियों के इन दिनों में घूमने की प्लानिंग न हो ऐसा कैसे हो सकता है। दूसरे राज्यों और देशों से आने वाले टूरिस्ट ने मध्यप्रदेश के टूरिस्ट स्पॉट्स को फुली बुक कर दिया है। वहीं प्रदेश के लोग भी दूसरे राज्यों में घूमने की प्लानिंग कर चुके हैं। लेकिन अगर आप भोपाल में ही रहकर इस विंटर सीजन का लुत्फ लेना चाहते हैं, तो आपको बता दें कि यह डिसीजन भी किसी शिमला प्लानिंग से कम नहीं है। धूप के टुकड़े के साथ दिन की शुरुआत कर गरमाहट का अहसास आप भोपाल और भोपाल के आसपास के खूबसूरत टूरिस्ट स्पॉट पर पा सकते हैं। और हां ये भी सच है कि हर 10 किलोमीटर के रास्तों में कांकरीट तो हर 10 किलोमीटर के सफर में घने जंगलों का मजा आप भोपाल में ही ले सकते हैं। पत्रिका.कॉम आपको बता रहा है भोपाल के ऐसे ही टूरिस्ट स्पॉट के बारे में जहां घूमते हुए आप गा सकते हैं ये हंसी वादियां ये खुला आसमां…

बड़ा तालाब, वन विहार से सैर-सपाटा तक
भोपाल का बड़ा तालाब आपको समुद्री लहरों से कम अहसास नहीं देता। सर्दियों की गुनगुनी धूप दूर-दूर तक पानी, और उसकी लहरों पर बोटिंग आपके दिन को यादगार बना देती है। एक सीमा के बाद पानी और आसमान के एक होने का विहंगम दृश्य आंखों को तर कर देता है। बड़े तालाब की खूबसूरती निहारने के बाद आप इसी रास्ते पर आगे बढ़ जाइए। यहां वाइल्ड लाइफ आपके इस मजे को दोगुना कर देगी। बड़े तालाब और हरियाली के बीच से गुजरती वन विहार की सड़क पर आप सफारी का मजा भी ले सकते हैं, साइकलिंग कर सकते हैं या अपने ही वाहन से वन्य जीवों की अठखेलियां और हरियाली का लुत्फ ले सकते हैं।। यहां लॉयन, टाइगर, हिरण, भालू, जैकाल, जंगली सूकर के साथ ही कई जंगली जानवर देख सकते हैं। तितलियों का पार्क भी यहां आकर्षण का केंद्र है। तो यहां से आगे बढ़ते ही इन दिनों में यहां आने वाले माइग्रेटेड बर्ड भी आपका मन लुभा लेंगे। उनकी आवाजें और रंग-ढंग आपके मन को मोह लेंगे। सर्दियों के इन दिनों में यहां पानी से बाहर मगरमच्छ और घडिय़ाल भी आपको हरी घास पर धूप सेकते नजर आ जाएंगे।

सैर-सपाटा
बड़े तालाब से दिन की शुरुआत कर आप वन विहार के एग्जिट दरवाजे से बाहर निकलते ही उस सड़क पर पहुंच जाएंगे जहां से पिकनिक स्पॉट सैर-सपाटा बेहद नजदीक है। यहां आपको टिकट लेकर एंट्री करनी होती है। जैसे ही आप एंट्री करते हैं लक्ष्मण झूले जैसा खूबसूरत पाथ आपका स्वागत करता है। इसी पाथ से गुजरते हुए आप मेन पार्क में पहुंच जाते हैं। यहां बच्चों के लिए आकर्षक झूले हैं। उनके खेलने के लिए कई गेम्स के साथ ही आप यहां कैम्पस में घुमाने वाली टॉय ट्रेन का मजेदार सफर कर सकते हैं। खाने-पीने के स्टॉल समेत यहां बोटिंग का मजा भी लिया जा सकता है। एक छोटे से दायरे में घने जंगल से गुजरने का मजा भी आप यहां ले सकते हैं। धूप को पकड़ते-पकड़ते चलते हुए कब शाम हो जाएगी आपको पता भी नहीं चलेगा।

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सांची
भोपाल के नजदीक विंटर वेकेशन का एक दिन गुजारना हो, तो सांची टूरिस्ट स्पॉट की एक ट्रिप आपके दिन को खुशनुमां बना देगी। और अगर आप इतिहास के शौकीन है तो फिर क्या कहने। घूमना भी और रोचक ऐतिहासिक फैक्ट भी आपकी इस ट्रिप को यादगार बना देंगे।
सांची के स्तूप
रायसेन जिले में सांची नगर के पास एक पहाड़ी पर स्थित एक छोटा सा गांव है सांची। यह बेतवा नदी के किनारे स्थित है। भोपाल से 46 किमी पूर्वोत्तर में, तथा बेसनगर और विदिशा से 10 किमी की दूरी पर बसा है। यहां के प्राचीन बौद्ध स्मारक हैं। ये स्मारक तीसरी शताब्दी ई.पू. से बारहवीं शताब्दी के बीच के काल के हैं। सांची रायसेन जिले की एक नगर पंचायत है। रायसेन जिले में एक अन्य विश्वदाय स्थल, भीमबेटका भी है। विदिशा से नजदीक होने के कारण लोगों को यह भ्रम भी होता है कि यह विदिशा जिले में है। यहां छोटे-बड़े अनेकों स्तूप हैं, जिनमें स्तूप संख्या 2 सबसे बड़ा है। चारों ओर पसरी हरियाली हरी मखमली चादर सी महसूस होती है जैसे प्रकृति का जादुई कालीन, जिसे देखकर आपकी आंखों को सुकून मिल जाता है। इस स्तूप को घेरे हुए कई तोरण भी बने हैं। स्तूप संख्या 1 के पास कई छोटे स्तूप भी हैं, उन्हीं के पास एक गुप्त कालीन पाषाण स्तंभ भी है। सांची का मुख्य स्तूप, मूल रूप से सम्राट अशोक महान ने तीसरी शताब्दी में बनवाया था। बाद में इस सांची के स्तूप को सम्राट अग्निमित्र शुंग जीर्णोद्धार करके इसे और बड़ा कर विशाल रूप दे दिया। सांची के इस टूरिस्ट स्पॉट पर बौद्ध मठ भी आपको रोचकता का एहसास कराते हैं। सांची की इस पहाड़ी से आप जब नीचे की ओर दूर तक निहारते हैं और अगर इस समय ट्रेन का यहां से गुजरने का समय है, तो हरियाली चादर के बीच से गुजरती ट्रेन प्रकृति की खूबसूरती में चार चांद सी महसूस होती है। कुल मिलाकर सांची तनाव से दूर ऐतिहासिक और प्राकृतिक नजारों से आच्छादित ऐसा टूरिस्ट स्पॉट है जो आपको बेहद रोचक तरीके से गुदगुदाएगा।

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भोजपुर के भोजेश्वर मंदिर से जैन मंदिर तक
अगर आप अपने विंटर वेकेशन को धार्मिक नजरिए से देख रहे हैं, तो भोजपुर बेस्ट ऑप्शन है। रायसेन जिले की गौहर गंज तहसील के ओबेदुल्लागंज विकास खंड में स्थित इस शिव मंदिर को 11वीं सदी में परमार वंश के राजा भोज प्रथम ने बनवाया था। कंक्रीट के जंगलों को पीछे छोड़ प्रकृति की छंाव में बेतवा नदी के किनारे बना यह मंदिर उच्च कोटि की वास्तुकला का नमूना है। इसे राजा भोज के वास्तुविदों के सहयोग से तैयार किया गया था। इस मंदिर की विशेषता इसका विशाल शिवलिंग हैं जो कि विश्व का एक ही पत्थर से निर्मित सबसे बड़ा शिवलिंग हैं। सम्पूर्ण शिवलिंग कि लम्बाई 5.5 मीटर (18 फीट ), व्यास 2.3 मीटर (7.5 फीट ), तथा केवल शिवलिंग कि लम्बाई 3.85 मीटर (12 फीट) है। इस स्थल को 11वीं सदी की इंजीनियरिंग की पाठशाला भी कहा गया है। इस मंदिर को पांडवकालीन भी माना जाता है। माना जाता है कि पांडवों के अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने मां कुनती की पूजा के लिए एक भव्य शिव मंदिर का निर्माण किया था। इस मंदिर को बड़े बड़े पत्थरों से स्वयं भीम ने तैयार किया था। ताकि पास ही बहने वाली बेतवा नदी में स्नान के बाद माता कुन्ती भगवान शिव की उपासना कर सकें। कहा जाता है कि कालान्तर में यही विशाल शिवलिंग वाला मन्दिर राजा भोज के समय विकसित होकर भोजेश्वर महादेव मंदिर कहलाया। यहां पथरीली चट्टानों से प्रकृति को निहारने का अपना ही एक मजा है। मंदिर परिसर से बाहर आकर जब आप इसी सड़क पर आगे बढ़ेंगे तो चंद मिनटों की दूरी पर जैन मंदिर में भी आप कुछ यादगार पल बिता सकते हैं। यहां भी आप प्राकृतिक नजारों को करीब से निहार सकते हैं।

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भीमबेटका
रायसेन जिले में एक पुरातन पाषाणयुगीन पुरातात्विक स्थल है भीमबेटका। प्रदेश की राजधानी से दक्षिण-पूर्व में करीब 46 कीमी की दूरी पर स्थित है। भीमबेटका की पहाड़ी में 750 से ज्यादा चट्टानों में गुफाएं मिली हैं। वे गुफाएं 10 कीमी के क्षेत्र में पसरी हुई हैं। सर्दियों के इस मौसम में पथरीली इस जगह का रोमांच आपको खुश कर देगा। आपको बता दें कि यहां बनीं गुफाओ में भारतीय उपमहाद्वीप में मानव जीवन की उत्पति की शुरुआत के निशान मिलते हैं। इस स्थान पर मौजूद सबसे पुरानी केव पेंटिंग का का इतिहास 30,000 साल पुराना माना जाता है। माना जाता है कि इन भित्ती चित्रों में उपयोग किए गए रंग वनस्पतियों से तैयार रंग थे। समय के साथ-साथ अब ये रंग फीके पडऩे लगे हैं। पेंटिंग्स को गुफाओं की आंतरिक दीवारों पर गहरा बनाया गया था। ऊंची ओर विशालकाय चट्टानों पर बनीं इन गुफाओं को देखकर आपका रोमांच बढ़ जाता है और आप इस ऐतिहासिक स्थल को देखकर खुद को धन्य महसूस करने लगते हैं।

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केरवा डैम और आसपास का क्षेत्र
घने जंगलों और गहरी नदी का किनारा सर्दियों की गुनगुनी धूप आपको अंदर से इतना गुदगुदाएगी कि आपका बचपन लौट आएगा। कभी आप जंगलों को निहारेंगे तो कभी नदी के किनारे बैठकर छई-छपा-छई-छपाक-छई करने से भी गुरेज नहीं करेंगे। अगर इस समय वहां डैम से पानी बहता हुआ नजर आ जाएगा, तो यकीन मानिए आप खुद को खुशनसीब महसूस करेंगे। यही नहीं यहां पेड़ों की छांव में बैठकर जब आप कुछ पल अपने साथ गुजारते हैं, तो पक्षियों की आवाजें, पत्तियों का खनकता साज आपके पुरसकून की तलाश को पूरा कर देता है। तो आइए प्राकृतिक नजारों और खुले आसमां के बीच भोपाल और उसके आसपास का सफर करते हैं। जहां परिवार और अपनों के साथ ही आप कुछ पल खुद के साथ रहने का मौका भी पा ही लेंगे…

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