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फिल्म मेकर्स को ध्यान रखना चाहिए कि हम जो दिखा रहे हैं उसका समाज पर बुरा प्रभाव ना पड़े

बॉलीवुड एक्टर शारिब हाशमी से फिल्म शूटिंग के लिए आए भोपाल, शारिब ने कहा, फिल्मिस्तान और द फैमिली मैन ने दिलाई मुझे अलग पहचान दी, फिल्म के जरिए अवॉर्ड के लिए हुआ नॉमिनेट

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भोपाल। बचपन में मेरा सपना हीरो बनने का सपना था, लेकिन जैसे-जैसे बड़ा हुआ तो समझ आया कि इंडस्ट्री में आना इतना आसान नहीं है। मैंने असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में शुरुआत की, लिखना शुरू किया। 10 साल तक काम करने के बाद डिसाइड किया कि मुझे एक्टिंग में ही हाथ आजमाना चाहिए।फिर नौकरी छोड़कर एक्टिंग में पूरी तरह से लग गया। यह कहना था, बॉलीवुड एक्टर शारिब हाशमी का। वे इन दिनों अपनी अपकमिंग फिल्म की शूटिंग के लिए भोपाल आए हुए हैं, इस दौरान उन्होंने पत्रिका से अपनी जर्नी को शेयर की।

फिल्मिस्तान ने मुझे अलग पहचान दी

शारिब कहते हैं कि फिल्मिस्तान में सनी अरोरा का किरदार निभाया था जो मेरी रीयल लाइफ से मेल खाता है। इस तरह का किरदार मैंने अभी तक निभाया नहीं था। फिल्मिस्तान ने मुझे अलग पहचान दिलाई है, इस फिल्म के जरिए कई अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट हुआ। वेब सीरीज द फैमिली मैन ने मुझे घर-घर तक पहुंचाया। यह दोनों ने मेरे कॅरियर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, इन्हीं के कारण मैं लोगों के दिलों तक पहुंचा हूं।

मनोज सर खुद एक्टिंग स्कूल है

शारिब ने बताया कि मनोज वाजपेयी के साथ काम करना एक्टिंग स्कूल जाने जैसा है। रोज उनसे कुछ न कुछ सीखने को मिलता है। मैं चाहता हूं कि उनके अनुभव का 5 प्रतिशत हिस्सा भी मैंने पा लिया तो खुद को भाग्यशाली समझुंगा। फिल्म दरबान में किरदार निभाना बहुत मुश्किल था, चन्ना के किरदार ने जीवन में गहरा प्रभाव छोड़ा। स्लमडॉग मिलियनेयर पर बात करते हुए शारिब ने कहा कि उस समय चैनल वी में नौकरी कर रहा था, और मेरा दोस्त फिल्म कास्टिंग कर रहा था। उसने मुझे ऑडिशन के लिए बुलाया। मेरा ऑडिशन हुआ जिसमें मैं सिलेक्ट हो गया। उस फिल्म में एक सीन था। उसके लिए ऑफिस से एक दिन की छुट्टी लेकर आया था, उस समय मेरा कोई इरादा नहीं था कि एक्टिंग में ही आना है।

ओटीटी ने हर एक्टर को नए अवसर दिए

शारिब ने बताया कि आज के समय में ओटीटी कलाकार के लिए वरदान की तरह है। ओटीटी पर अच्छे कंटेंट के साथ अलग-अलग किरदार देखने को मिल रहे हैं। अलग-अलग कहानी पर राइटर्स काम कर रहे हैं। बोल्ड कंटेंट पर कहा कि थोड़ी सी जिम्मेदारी फिल्म मेकर्स को होनी चाहिए, जो वह दिखा रहे है, उससे समाज में बुरा प्रभाव न पड़े। साथ ही कहा कि फिल्म शुरू होने से पहले वॉर्निंग आती है कि यह किस उम्र के लोग देख सकते हैं। फिल्म और ओटीटी में अंतर को लेकर कहा कि फिल्म में मुख्य एक्टर पर ज्यादा फोकस होता है, अन्य किरदारों को उतनी तवज्जो नहीं मिल पाती। वेब सीरीज में अन्य कैरेक्टर को पूरा मौका दिया जाता है।