पत्रिका प्लस से हुई विशेष बातचीत में वाजिद ने बताया कि मैं महज पांचवी कक्षा तक पढ़ा हूं और मेरा मानना है कि एजुकेटेड होना जरूरी नहीं है लिटरेट बनिए। पांचवी में फेल होने के बाद घर से निकाल दिया गया, फुटपाथ पर कपड़े बेचे, उससे मिलने वाले पैसों से रोबोट बनाए।
रग्बी भी खेला लेकिन उसमें कामयाब नहीं हुआ तो एक प्रोफेसर ने कहा कि तुम्हें आर्टिस्ट बनना चाहिए। जब आर्ट के फील्ड में आया तो कमाल ही हो गया। मैं बचपन से ही अजीब था, मेरा मानना है जो अजीब होता है वो अजब और गजब करता है। पहली बार वर्ष 2010 में मेरा आर्ट वर्क लोगों के सामने आया। मैंने हॉर्स पॉवर के प्रतीक कार इंजन से घोड़ा बनाया, अहिंसा की प्रतीक बंदूक की गोली से गांधी जी का चित्र बनाया। भू्रण हत्या में इस्तेमाल होने वाले मेडिकल इक्यूपमेेंट से एक बच्ची का फोटो बनाया।
ऊंचाई – 2.5 फीट चौड़ाई – 2.5 फीट
समय – 2.5 महीने वजन – 80 किलो
कंसेप्ट और लॉजिक का मिश्रण है यह आर्ट वर्क
वाजिद बताते हैं कि हर किसी देश के बनने के पीछे एक शैडो नजर आती है। हमारा देश बहुत छोटे-छोटे हिस्सों में बंटा था जिसे आजादी के बार सरदार पटेल ने यूनाइटेड किया। लिहाजा मैंने अपने आर्ट वर्क में उसी तरह हमने छोटे-छोटे पाट्र्स प्लायर, बाइक किक, कैंची, पाने, नट बोल्ट, चेन, बेयरिंग, रिम और वेस्ट आयरन को जोड़ा।
इससे पहले वाजिद दुनिया की सबसे छोटी एक इंच की वर्किंग आयरन प्रेस और पानी में चलने वाला जहाज भी ईजाद कर चुके हैं। इसके लिए उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हो चुका है। नेल आर्ट में काम करने वाले वाजिद अब तक 200 से ज्यादा यूनिक आर्टवर्क बना चुके हैं।