मिशन के लिए रात दो बजे हुए रवाना
25 वर्षीय विवेक ने बताया कि इस मिशन को पूरा करने के लिए वे शेरपा के साथ रात दो बजे रवाना हुए थे. पर्वत शिखर पर पहुंचने के बाद दूसरे दिन दोपहर 12 बजे तक वे नीचे भी उतर आए क्योंकि 12 बजे के बाद वहां स्नो फॉल होने लगता है और तेज हवाएं चलने लगती हैं. इसके साथ ही रोप भी बर्फ में दबकर दिखाई नहीं देती है.
द्रोपदी का डंडा पर्वत शिखर को छूने की उपलब्धि उन्होंने पिछले दिनों हासिल की. विवेक ने बताया कि पिता शेष राम कुशवाहा एक किसान हैं. शहर के 12 नंबर स्टॉप के पास उनका खेत है जहां हम सब्जियां उगाते हैं. पिता के साथ उन सब्जियों को बेचने मैं भी जाता हूं जिससे हमारा परिवार चलता है. इस काम से समय निकालकर मिशन की तैयारी की.
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क्लाइंबिंग करने से मिली मदद
विवेक कक्षा 12वीं के छात्र हैं. उन्होंने बताया कि इतनी ऊंचाई पर पहुंचने के लिए फिटनेस और एकाग्रता पर खासा ध्यान दिया. वे थ्रोबॉल और क्लाइंबिंग के नेशनल प्लेयर भी है. विवेक के अनुसार इससे फिटनेस बनाने में काफी मदद मिली. मिशन के लिए बीयू में समय निकालकर चार घंटों तक क्लाइंबिंग करता था.