इसके अलावा बढ़ती आयु के साथ संबंधों का आना भी कम हो जाता है जिससे पूरा परिवार चिंतित रहता है। ऐसा नहीं है कि केवल युवती की शादी में ही परेशानियां आती है, कई बार युवकों का भी तमाम कोशिशों के बावजूद विवाह नहीं हो पाता। ऐसे में आज हम आपको युवक व युवती दोनों विवाह में हो रही परेशानियों से कैसे निजाद पा सकते हैं, इसके बारे में बता रहे हैं।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार ज्योतिषशास्त्र में ग्रहों की अशुभ स्थिति को इनका प्रमुख कारण माना जाता है, जिनका निदान ग्रहों के उपाय यानि जप, पूजा, दान, व्रत व अन्य वैदिक अनुष्ठान के माध्यम से स्वयं कर व किसी योग्य कर्मकांडी से भी करा सकते हैं।
भारतीय ज्योतिष में नौ ग्रहों में से सूर्य, मंगल,शनि, राहु, और केतु का प्रभाव अधिक माना गया है। इन में मंगल,राहु व शनि विशेष रुकावटें उत्पन्न करते हैं।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार यदि आपके घर में भी विवाह को लेकर किसी भी प्रकार की देरी हो रही हो, तो इसके निदान के कई उपाय हैं। पंडित शर्मा के अनुसार ये उपाय 100 फीसदी आपके कार्य को पूर्ण करने में सहायक होंगे। इसके तहत युवती और युवक के लिए अलग अलग उपाय हैं। जो इस प्रकार हैं…युवती के लिए अचूक उपाय… 1. माता वैभव लक्ष्मी की आराधना:
इसके तहत माता वैभवलक्ष्मी के 5,7 या 11 शुक्रवार के व्रत का संकल्प लें। इन तीन संख्याओं में से आप किसी भी इच्छित संख्या का संकल्प ले सकती हैं।
विवाह में आ रही बाधा को दूर करने के लिए एक अन्य अचूक उपाय गौरा (गौरी) माता की आराधना करना है। इसके तहत गौरी माता की अराधना का विवरण रामायण में भी मिलता है। माता सीता ने विवाह से पूर्व गौरा माता की अराधना कर श्रीराम जी को वर रूप में प्राप्त किया था।
जय गजबदन षडानन माता। जगत जननि दामिनि दुति गाता॥ * नहिं तव आदि मध्य अवसाना। अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना॥
भव भव बिभव पराभव कारिनि। बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि॥
महिमा अमित न सकहिं कहि सहस सारदा सेष॥ * सेवत तोहि सुलभ फल चारी। बरदायनी पुरारि पिआरी॥
देबि पूजि पद कमल तुम्हारे। सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे॥
* मोर मनोरथु जानहु नीकें। बसहु सदा उर पुर सबही कें॥
कीन्हेउँ प्रगट न कारन तेहीं। अस-कहि चरन गहे बैदेहीं॥ * बिनय प्रेम बस भई भवानी। खसी माल मूरति मुसुकानी॥
सादर सियँ प्रसादु सिर धरेऊ। बोली गौरि हरषु हियँ भरेऊ॥
नारद बचन सदा सुचि साचा। सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा॥4॥
छन्द :
* मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर साँवरो।
करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो॥
एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय सहित हियँ हरषीं अली।
तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली॥
सोरठा :
* जानि गौरि अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे॥236॥ (भावार्थ:- हे श्रेष्ठ पर्वतों के राजा हिमाचल की पुत्री पार्वती! आपकी जय हो, जय हो, हे महादेवजी के मुख रूपी चन्द्रमा की (ओर टकटकी लगाकर देखने वाली) चकोरी! आपकी जय हो, हे हाथी के मुख वाले गणेशजी और छह मुख वाले स्वामिकार्तिकजी की माता! हे जगज्जननी! हे बिजली की सी कान्तियुक्त शरीर वाली! आपकी जय हो!
:-पति को इष्टदेव मानने वाली श्रेष्ठ नारियों में हे माता! आपकी प्रथम गणना है। आपकी अपार महिमा को हजारों सरस्वती और शेषजी भी नहीं कह सकते ।
:-हे (भक्तों को मुंहमांगा) वर देने वाली! हे त्रिपुर के शत्रु शिवजी की प्रिय पत्नी! आपकी सेवा करने से चारों फल सुलभ हो जाते हैं। हे देवी! आपके चरण कमलों की पूजा करके देवता, मनुष्य और मुनि सभी सुखी हो जाते हैं।
:-मेरे मनोरथ को आप भलीभांति जानती हैं, क्योंकि आप सदा सबके हृदय रूपी नगरी में निवास करती हैं। इसी कारण मैंने उसको प्रकट नहीं किया। ऐसा कहकर जानकीजी ने उनके चरण पकड़ लिए।
:-गिरिजाजी सीताजी के विनय और प्रेम के वश में हो गईं। उन (के गले) की माला खिसक पड़ी और मूर्ति मुस्कुराई। सीताजी ने आदरपूर्वक उस प्रसाद (माला) को सिर पर धारण किया।
हे सीता! हमारी सच्ची आसीस सुनो, तुम्हारी मनःकामना पूरी होगी। नारदजी का वचन सदा पवित्र (संशय, भ्रम आदि दोषों से रहित) और सत्य है। जिसमें तुम्हारा मन अनुरक्त हो गया है, वही वर तुमको मिलेगा।
:-जिसमें तुम्हारा मन अनुरक्त हो गया है, वही स्वभाव से ही सुंदर साँवला वर (श्री रामचन्द्रजी) तुमको मिलेगा। वह दया का खजाना और सुजान (सर्वज्ञ) है, तुम्हारे शील और स्नेह को जानता है। इस प्रकार श्री गौरीजी का आशीर्वाद सुनकर जानकीजी समेत सब सखियां हृदय में हर्षित हुईं। तुलसीदासजी कहते हैं- भवानीजी को बार-बार पूजकर सीताजी प्रसन्न मन से राजमहल को लौट चलीं॥)।)
3. कात्यायनी माता की अराधना :
विवाह नहीं होने की स्थिति में या किसी तरह की रुकावट आने पर मां कात्यायनी की आराधना भी इस परेशानी से निजाद दिलाती है।
इसके तहत माता कात्यायनी की आराधना करने के लिए प्रात:काल स्नानादि के बाद माता के इस मंत्र से जाप का संकल्प लें…
नंद गोप सुतं देहि पतिं में कुरुते नम:।। माता के मंत जाप के लिए 1माला, 5 माला या 10 माला प्रतिदिन एक समान गिनती में जाप करें। मंत्र की संख्या 1 लाख 8 हजार या कार्य पूर्ण होने तक अपनी सामथ्रर्यनुसार संकल्प कर सकते हैं। संकल्पित मंत्र संख्या पूर्ण होने के बाद या विवाह के बाद यज्ञ(हवन) द्वारा मंत्र जाप का उद्यापन करें।
मंत्र: हे गौरी शंकरार्धागिनी यथा त्वमं शंकर प्रिया तथा माम कुरू कल्याणीकान्त कान्ता सुदुर्लभम्।।
1. पुरुषों के विवाह में आ रही बाधा दूर करने का सबसे खास उपाय मां दुर्गा की आराधना करना है।
इसके तहत प्रात:काल स्नानादि करके शुद्ध तन व शुद्ध मन से दुर्गासप्तशती में दिए इस श्लोक का रुद्राक्ष की माला से जाप करें।
तारिणींदुर्गसं सारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥ युवक युवती दोनों के लिए अन्य उपाय… – शीघ्र विवाह के लिए मंत्र : तुलसी की माला से रामचरित मानस की निम्न चौपाई का राम सीता के चित्र के सामने 108 बार नित्य पाठ करना शीघ्र विवाह के लिए दिव्य प्रयोग माना जाता है।
पूजिहि मन कामना तिहारी ” – यदि विवाह मे बहुत विलंब हो रहा हो तो मंदिर के प्रांगण में अनार का वृक्ष लगाएं व रोज उसे जल से सीचें।
कच्चा दूध व जल मिला कर प्रतिदिन शिवलिंग पर चढ़ाएं।
प्रतिदिन गाय को चारा या हरा पालक खिलाएं।
उत्तम रिश्ते आने लगेंगे।
भगवान शिव के आगे रख कर “ ॐ श्रीं वर प्रदाय श्री नमः ” मंत्र का पांच माला जाप करें।
जप के उपरांत पांचों नारियल शिव जी के मंदिर में चढा दें ,विवाह की बाधायें अपने आप दूर होती जायेंगी।
माँ पार्वती का श्रृंगार करें,
शिव पार्वती के मध्य गठजोड़ बांधे और शीघ्र विवाह के लिए प्रार्थना करें।
उत्तम विवाह प्रस्ताव आने प्रारम्भ हो जाएंगें।
’’ ॐ नमः मनोभिलाषितं वरं देहि वरं ह्रीं ॐ गोरा पार्वती देव्यै नमः ’’ – रामचरित मानस के बालकाण्ड में शिव पार्वती विवाह प्रकरण का नित्य पाठ करने से कन्या का विवाह शीघ्र होता देखा गया है।
शीघ्र विवाह की प्रार्थना करें साथ ही शंकर जी पर 21 बिल्व पत्र चढ़ावें