भोपाल। मीडिया आज जो पाठकों या दर्शकों को परोस रहा है, उससे उनका भारतीय संस्कृति का धरातल छूट रहा है। मीडिया का एक काम मानवीय मूल्यों की शिक्षा देना भी है। हमें मीडिया की भूमिका को अलग तरह से समझना चाहिए। हम लोगों की जिंदगी समझें, सहायता करें, उनके बीच विश्वास पैदा करने का प्रयास करें, तभी सार्थकता है। जो चीज मां-बाप नहीं सिखा पाते, स्कूल नहीं सिखा पा रहे हैं, आज वह पत्रिका सिखाता है।
पत्रिका ने आम जन से जुड़े तमाम ऐसे मुद्दों को उठाया, जिससे आसुरी प्रवृत्तियों के लोग नाराज हो गए। लेकिन तमाम झंझावातों को झेलते हुए पत्रिका लोगों के साथ खड़ा हुआ है। यही कारण है कि पत्रिका की एक आवाज पर तालाब खुदाई के समय मई-जून की भीषण गर्मी में भी सवा लाख लोग एकत्रित हो गए थे।
यह बातें मंगलवार को पत्रिका समूह के चेयरमैन और प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने पत्रिका मध्यप्रदेश के 14वें स्थापना दिवस (patrika foundation day) पर आयोजित वर्चुअल संवाद सेतु में कही।
इस आयोजन में पूरे प्रदेश से प्रबुद्ध नागरिक, युवा, जनप्रतिनिधि शामिल हुए। कोठारी न कहा कि अखबार छोटा शब्द बन गया है, लेकिन यह उतना छोटा नहीं है जितना हम इसे समझते हैं। यदि एक माह के लिए अखबार, समाचार चैनल आदि बंद हो जाएं तब हमें इसका आभास होगा।
यह मुद्दे आए सामने