सांसद डॉ. वीरेंद्र कुमार खटीक के पिता की सागर में पंचर बनाने की दुकान थी। वे भी 5वीं क्लास से ही यह काम करने लगे। डॉ. वीरेंद्र खटीक ने पूरे एक दशक तक पंचर बनाकर और साइकिल रिपेयरिंग कर अपना घर चलाया। सागर के गौर मूर्ति के पास वे साइकिल रिपेयरिंग का काम करते थे।
यह भी पढ़ें : युवा बेटे को कंधा देते हुए बिलख उठे कलेक्टर, जबलपुर में भाई ने दी मुखाग्नि डॉ. वीरेंद्र खटीक virendra kumar khatik और उनके पिता दिनभर पंचर जोड़ने में लगे रहते थे। घर के साथ ही उनके भाई-बहन की पढ़ाई का खर्चा भी इसी कमाई से चलता था। सागर विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान भी डॉ. वीरेंद्र खटीक को साइकिल रिपेयरिंग करनी पड़ी। काम में जरा सी लापरवाही पर उनके पिता जमकर डांट लगाते थे।
सागर में 27 फरवरी 1954 को जन्मे डॉ. वीरेंद्र खटीक की पत्नी कमल खटीक आम घरेलू महिला हैं। उनका एक पुत्र और एक पुत्री है।
यह भी पढ़ें : कांग्रेस का बड़ा फैसला, एमपी की कार्यकारिणी भंग, पीसीसी चीफ और नेता प्रतिपक्ष को बुलाया दिल्ली वीरेंद्र कुमार 11वीं लोकसभा में चुनाव जीतकर पहली बार सांसद बने थे। वे तब सागर लोकसभा सीट से जीते थे। इसके बाद 12वीं, 13वीं और 14वीं लोकसभा में भी सागर से ही सांसद बने। परिसीमन होने के बाद वे टीकमगढ़ सीट teekamgarh से चुनाव मैदान में उतरने लगे। 15वीं, 16वीं और 17वीं लोकसभा में टीकमगढ़ से सांसद रहे हैं। पिछली बार केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री (Union Cabinet Minister for Social Justice and Empowerment of India) थे।
केंद्र में मंत्री होने के बाद भी उनकी सादगी बनी रही। वे आज भी खुद ही साइकिल की रिपेयरिंग कर लेते हैं। साइकिल की दुकान पर जाकर युवाओं को पंचर बनाना सिखाने लगते हैं।