दबाव और प्रभाव
डॉ. संजय जैन और अनुकम्पा नियुक्ति पाने वाले निशांत के बीच बातचीत के मुख्य अंश
संजय जैन: अच्छा, अब क्या है, ये सब चीजें एडवांस में होती हैं, हम तो सब विश्वास में तुमको कर दिया था कि चलो भाई… बाद में हो जाएगा, अब तुम अब अपने हिसाब से देख लो कैसे क्या करना है। जो भी हो जैसे भी हो सम्मानजनक हो, क्योंकि सहायक वर्ग-3 का पद है… क्योंकि क्लास 4 का देते तो तुम्हें क्लास-3 आने में कितना समय लगता। एक तो तुम्हारा प्रकरण कितना उलझा ये भी था कि पिताजी के कारण कहो नहीं भी देते क्योंकि अभी उनका क्लीयर नहीं हुआ है। वह तो मानवीय दृष्टिकोण अपना कर हमने अपने हिसाब से इसको किया है… तो सोच-समझ कर तुम देख लो।
प्रार्थी निशांत: जी सर…जी।
संजय जैन: हमने तो सबको 1.5 बोला था… लिया है। अब तुम उस हिसाब से लेकर आ आजो… ठीक है। कर लो, क्योंकि ये पहले होता है, नहीं तो बाद में लोग बोलते, मेरा तो हो गया अब क्या लेना-देना। ये तो विश्वास की बात रहती है… ठीक है, तो कर लो इसको… कर लो सेट?
प्रार्थी: जी… सर।
संजय जैन: जाते समय जब उज्जैन जाओगे तो भोपाल होते हुए ही जाओगे?
प्रार्थी: सर, रात की ट्रेन से निकलूंगा ना… 8.50 की ट्रेन से। मम्मी भी साथ में जा रहीं ना सर।
संजय जैन: उज्जैन में अपन मिलेंगे भी तो वहां तो सब लोग रहते हैं तो ऐसा कौन होता है… बातचीत भर हो पाएगी। चलो तुम सेट कर लो जैसा भी हो। जिस तरीके से भी है, हेना। थोड़ा अभी वहां मिलोगे भी तो सबसे सामने नहीं करना… देख समझ कर। नहीं तो फिर क्या होता है, दिक्कत होती है। ठीक है… चलो… चलो।
दूसरा केस: ये सब्जी मंडी नहीं, इतनी बातें मत करो
प्रो. डॉ. संजय जैन की एक और ऑडियो क्लिप भी वायरल हो रही है। इसमें वे सुगंधा नामक अभ्यर्थी पर दबाव बनाने के लिए उनके विजय नाम के परिचित पर दबाव बना रहे हैं। वे कह रहे हैं कि उसको प्रॉब्लम है तो कोई दिक्कत नहीं है, रुटीन में हो जाएगा, जब होना है। उसे अगर जल्दी करवाना है तो… उसका एक साल में हो रहा है। वैसे अभी दो-दो साल वाले पड़े और बैठे हैं। उसका बाद में हो जाएगा, कोई जल्दी नहीं है। अभ्यर्थी का परिचित बोला- सर जल्दी करवाना है। देखो, विजय… सुगंधा से इतनी बातें नहीं होती हैं। ये सब्जी मंडी नहीं है। विजय बोले- मैं समझ रहा हूं, सर। लड़की के पास जितना है, उतने में कर दीजिए। डॉ. संजय बोले- उतने में नहीं होगा। हां तो हां, जो लोग तैयार हैं, उन्हें पहले करवा देंगे। रिक्वेस्ट का सवाल नहीं है। मैं बालाघाट का हूं, इसलिए सोचा।