मामला नगर परिषद पथरिया जिला दमोह का है। आवेदक अनिल तिवारी ने 16 अक्टूबर 2019 को तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी एवं मुख्य नगर पालिका अधिकारी महेश सारिया से वित्तीय वर्ष 2016 से 2020 के तीन बिन्दुओं में जानकारी मांगी थी। लोक सूचना अधिकारी ने अपीलार्थी को सूचना दी कि मांगी गई जानकारी अधिक विस्तृत है, इसकी फोटोकॉपी कराने का अनुमाति खर्च 40 हजार रुपए आएगा, इसलिए यह राशि जमा कराए जाने के बाद ही जानकारी दी जा सकती है। आवेदक ने यह शुल्क जमा करा दिया। फिर भी आवेदक को जानकारी नहीं मिली। सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी ने सुनवाई के दौरान दोनो पक्षों के तर्क सुने। आवेदक ने कहा उन्होंने चाही गई रकम जमा कर दी, इसलिए उसे जानकारी दी जाए। वहीं तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी ने तर्क दिया कि संबंधित जानकारी अभिलेख सहायक लोक सूचना अधिकरी बाल किशुन पटेल के पास है। यह जानकारी उनके द्वारा नहीं दी गई। जब उनसे प्रमाण मांगा गया तो उन्होंने कहा मौखिक कहा गया था। सूचना आयुक्त इस तर्क से सहमत नहीं हुए।
प्रथम अपील में भी दिए थे निर्देश –
जब लोक सूचना आधिकारी ने समय पर जानकारी नहीं दी तो आवेदक ने संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन एवं विकास सागर संभाग में प्रथम अपील की। प्रथम अपीलीय अधिकारी ने आवेदक को नि:शुल्क जानकारी देने एवं शेष शुल्क वापस करने के निर्देश दिए। फिर भी निर्देश का पालन नहीं हुआ।
जब लोक सूचना आधिकारी ने समय पर जानकारी नहीं दी तो आवेदक ने संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन एवं विकास सागर संभाग में प्रथम अपील की। प्रथम अपीलीय अधिकारी ने आवेदक को नि:शुल्क जानकारी देने एवं शेष शुल्क वापस करने के निर्देश दिए। फिर भी निर्देश का पालन नहीं हुआ।
सर्विस रिकार्ड में दर्ज होगी लापरवाही –
राज्य सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी ने निर्देश दिए कि संबंधित अफसर के सर्विस रिकार्ड में भी इसे दर्ज किया जाए।
राज्य सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी ने निर्देश दिए कि संबंधित अफसर के सर्विस रिकार्ड में भी इसे दर्ज किया जाए।