भोपाल

पावरलूम-हैंडलूम से खरीदना था कपड़ा, दोगुनी दर पर निजी दुकानों से कर डाली खरीदारी

स्कूली यूनिफॉर्म में घपला

भोपालFeb 10, 2019 / 01:11 am

Sumeet Pandey

पावरलूम-हैंडलूम से खरीदना था कपड़ा, दोगुनी दर पर निजी दुकानों से कर डाली खरीदारी

देवेंद्र शर्मा . भोपाल. स्कूलों में फ्री में यूनिफॉर्म के लिए शासन ने हैंडलूम व पावरलूम से कपड़े की खरीदी करना तय किया था। इसके लिए बाकायदा आदेश भी जारी हुए थे, लेकिन जिला स्तर पर प्रोजेक्ट प्रबंधकों ने निजी दुकानों से खरीदी कर डाली। आदेश में 25 जिलों को विशेषकर हैंडलूम व पावरलूम से कपड़ा खरीदी करने की हिदायत दी थी, इनमें भोपाल भी शामिल था। स्थिति ये हैं कि पुराने भोपाल की कसेरा गली, लोहा बाजार की एक होजयिरी से कपड़ा व अन्य सामग्री की खरीदी का आदेश दे दिया गया। लगातार यहीं से खरीदी हो रही है। इतना ही नहीं, जो कपड़ा यहां लिया जा रहा है बाजार में वह 22 रुपए मीटर की दर से मिल रहा है यहां दोगुनी कीमत यानी 44 रुपए प्रति मीटर में कपड़ा खरीदा जा रहा है। सितंबर 2018 में ये आदेश दिए गए। ऐसे में जांच हो तो यूनिफॉर्म खरीदी में बड़ा घोटाला सामने आ सकता है। बताया जा रहा है कि भोपाल में ही करीब तीन करोड़ रुपए का कपड़ा खरीदा गया।
 

इस दर में तय किया भोपाल के लिए कपड़ा

– 44 रुपए प्रतिमीटर शर्ट का कपड़ा

– 99 रुपए प्रतिमीटर पेंट का कपड़ा

– 99 रुपए प्रतिमीटर ट्यूनिक का कपड़ा
– 45 रुपए प्रति पीस लेगी
– 190 रुपए अन्य सामग्री मिलाकर

नोट- इसमें एक यूनिफॉर्म के कपड़े की फिक्स कीमत 190 रुपए है। जिस क्वालिटी का कपड़ा दिया जा रहा खुले बाजार में पड़ताल की तो वह 100 रुपए में मिल रहा है।
 

बुरहानपुर के सहकारी हैंडलूम से कपड़ा खरीदने के थे आदेश

दिसंबर 2017 को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग ने आदेश जारी कर मप्र राज्य पावरलूम बुनकर सहकारी संघ मर्यादित से वस्त्र सामग्री प्रदान के निर्देश दिए थे। इसमें स्कूल समेत शासन के अन्य विभागों के लिए कपड़ा खरीदी भी करना थी, लेकिन निजी दुकानों से खरीदी की गई।
 

इन 25 जिलों में यूनिफॉर्म आजीविका मिशन के तहत ही खरीदी तय थी

आगर मालवा, बड़वानी, बैतूल, भोपाल, छिंदवाड़ा, दमोह, धार, डिंडोरी, गुना, ग्वालियर, होशंगाबाद, झाबुआ, मंडला, रायसेन, राजगढ़, रीवा, सागर, सीहोर, शहडोल, शाजापुर, श्योपुर, शिवपुरी, सीधी, सिंगरौली, विदिशा।
स्वसहायता समूह की महिलाओं को सिर्फ 60 रुपए का मेहनताना

स्थिति ये हैं कि पूरी यूनिफॉर्म आजीविका मिशन के तहत तैयार कराना थी, लेकिन सिर्फ सिलाई में ही काम पूरा किया जा रहा है। स्व सहायता में लगी महिलाओं को महज 60 रुपए का मेहनताना दिया जा रहा। भोपाल के पास परवलिया सड़क में इसकी सिलाई का बड़ा केंद्र चल रहा है। कई जगह तो स्व सहायता समूह बनाए ही नहीं, ग्रामीण टेलर्स को ही काम दे दिया गया। राजगढ़ में तो तत्कालीन जिला पंचायत सीइओ ऋषभ गुप्ता ने बखेड में इस स्थिति को पकड़ा था।
 

इसमें गड़बडिय़ां सामने आ रही हैं। शिकायतें भी मिल रही हैं। भोपाल समेत सभी जगह पर हम इसकी जांच कराएंगे।

– कमलेश्वर पटेल, ग्रामीण एवं पंचायत मंत्री

 

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