पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें वे एक कार्यक्रम के दौरान किसी से चर्चा करती हुई नजर आ रही हैं, जिसमें वे कहती हैं कि ब्यूरोक्रेसी तो हमारी चप्पल उठाती हैं। उमा का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इधर, यह वीडियो वायरल होने के बाद कांग्रेस को मौका मिल गया, कांग्रेस ने उमा भारती से अपनी बात वापस लेने की मांग की है।
नाराज उमा का बड़ा दांव, अपनी सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा
क्या कहती हैं उमा
वीडियो में नौकरशाही पर दिए अपने इस बयान पर उमा भारती घिर गई हैं। वे वीडियो कह रही हैं कि आपको गलतफहमी है, ब्यूरोक्रेसी कुछ नहीं होती है, हमारी चप्पल उठाने वाली होती है। चप्पल उठाती है हमारी। हम लोग ही राजी हो जाते हैं, उसके लिए। आपको क्या लगता है कि ब्यूरोक्रेसी नेताओं को घुमाती हैं। नहीं-नहीं अकेले में बात हो जाती है पहले। फिर ब्यूरोक्रेसी फाइल बनाकर लाती है। हमसे पूछिए 11 साल केंद्र में मंत्री रही। मुख्यमंत्री रही। पहले हमसे बात होती है, फिर फाइल की प्रोसेस होती है।
दरअसल, 18 सितंबर को ओबीसी महासभा के प्रतिनिधिमंडल ने पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती से भोपाल स्थित उनके बंगले पर मुलाकात की थी। तभी प्रतिनिमंडल ने ओबीसी की जातिगत जनगणना और प्राइवेट सेक्टर में भी आरक्षण को लेकर उमा को 5 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपा था। साथ ही चेतावनी दी कि एमपी सरकार को ओबीसी महासभा की मांगों पर जल्द फैसला लेना चाहिए, नहीं तो ओबीसी महासभा सड़कों पर बीजेपी के सांसद, विधायक और मंत्रियों का विरोध करेगी। उमा का वायरल वीडियो उसी दौरान का बताया जा रहा है।
कांग्रेस बोली- मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्पष्ट करें
इस वीडियो के वायरल होने के बाद इस बयान की आलोचना हो रही है। कांग्रेस का कहना है कि उमा भारती को अपने शब्दों को वापस लेना चाहिए। कांग्रेस के मीडिया प्रभारी केके मिश्रा ने उमा के बयान को शर्मनाक बताया है। मिश्रा ने कहा है कि यदि अफसर चप्पल उठाते हैं तो ये शर्मनाक बात है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्पष्ट करें कि नौकरशाह वास्तव में राजनेताओं की चप्पल उठाते हैं? डेमोक्रेसी में ब्यूरोक्रेसी सरकार का एक अंग होता है। उमा भारती तीन-चार दिनों से काफी जोश में हैं। जोश उस दिन आया जिस दिन राज्यसभा के रूप में डाक्टर एल. मुरुगन का नाम तय हो गया। जबलपुर में गृहमंत्री थे तब शराबबंदी पर बात कही। अब उमाजी ओबीसी की एकता की बात कर रही हैं। उमा भारती ओबीसी मुख्यमंत्री की मदद कर रही हैं या शराबबंदी की बात करके उनका नशा उतारने की कोशिश कर रही हैं।
बदल रहे हैं उमा के तेवर
इससे पहले शनिवार को भी प्रेस कांफ्रेस कर उमा ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। अपने लिए लोकसभा चुनाव के दौरान भी वे मध्यप्रदेश में सुरक्षित सीट चाहती थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें तवज्जो नहीं दी। बीच-बीच में वे एक-दो बार सरकार विरोधी बयान देती रही। शनिवार को भी उमा भारती ने 15 जनवरी से सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का ऐलान कर दिया। उन्होंने शराबबंदी की मांग दोहराई। अपने बयान में उमा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक प्रकार से अल्टीमेटम ही देते हुए कहा कि मैं , शिवराजजी और विष्णुदत्त शर्मा को 15 जनवरी तक का समय देती हूं। यदि 15 जनवरी तक शराबबंदी नहीं की तो फिर मैं सड़क पर आ जाऊंगी। शराबी बात से नहीं लट्ठ से मानते हैं।