भोपाल। ब्यूरोक्रेसी को चप्पल उठाने वाला बताने वाली उमा भारती एक आइएएस ऑफिसर के बयान से खफा हो गई हैं। उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी फोन पर बात की है और ऐसे बयानों पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। उमा ने इस संबंध में एक के बाद एक कई ट्वीट भी किए हैं।
शराबबंदी और शराब के कारण हो रहे महिला अपराधों के खिलाफ अभियान चला रही उमा भारती (former cm uma bharti) गुरुवार को एक बार फिर नाराज दिखी। इस बार वे एक आइएएस अफसर अपर मुख्य सचिव (महिला बाल विकास) अशोक शाह के बयान पर भड़की हुई हैं। उमा भारती ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (cm shivraj singh chauhan) से इस बयान के बारे में बात कर आपत्ति दर्ज कराई है।
सीएम के सामने दिया था ऐसा बयान
दरअसल, एसीएस अशोक शाह (ACS) ने यह बयान बुधवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में महिला बाल विकास विभाग की लाड़ली लक्ष्मी योजना 2.0 कार्यक्रम में दिया था। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री मुख्य अतिथि थे। तभी महिला बाल विकास विभाग (women and child development department) के अतिरिक्त मुख्य सचिव अशोक शाह ने कुछ ऐसा कह दिया जिसे सुनकर सब चौंक गए थे। शाह ने स्तनपान की बढ़ोत्तरी के पीछे सरकार की एक योजना का हवाला दिया था। शाह ने कहा था कि मध्यप्रदेश में अपने बच्चों को (आशय बेटियों से) दूध पिलाने वाली मांओं की संख्या काफी कम थीं, जो अब योजना प्रारंभ होने के बाद बढ़ गई है। अशोक शाह ने कहा कि साल 2005 में सिर्फ 15 प्रतिशत माताएं अपनी बेटियों को दूध पिला पाती थीं। योजना के बाद यह आंकड़ा 42 प्रतिशत हो गया है।
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बयान के बाद उमा ने किया ट्वीट
इसी बयान के बाद उमा भारती भड़क गई और मुख्यमंत्री से फोन पर बात कर इस बयान पर विरोध दर्ज कराया है और इस बारे में ट्वीट भी कर यह बात सोशल मीडिया पर बताई है। उमा ने ट्वीट में कहा है कि मध्यप्रदेश में लाडली लक्ष्मी योजना 2.0 के क्रियान्वयन शुरू होने का स्वागत। मध्य प्रदेश सरकार के इस कार्यक्रम में भाषण देते हुए प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारी का बेहद असंगत एवं हास्यास्पद कथन देखा। हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री जी महिलाओं के सम्मान के लिए बहुत सजग एवं संवेदनशील हैं, जब मैंने आज फोन पर बात करके उनको यह बात बताई तो वह इस कथन से असहमत और आश्चर्यचकित थे। मुख्यमंत्रीजी की बात से लगा कि समारोह में बहुत शोर के कारण वह इस बात को सुन नहीं पाए। मुझे लगता है कि वह इस कथन को ठीक करने का रास्ता स्वयं निकाल लेंगे। सीनियर आफिसर ने कहा था कि हमारी योजना के कारण अब 42% महिलाएं अपनी बेटियों को दूध पिलाती हैं, जबकि 2005 से पहले वह 15% था। यदि यह कथन सही छपा है तो यह बेटी विरोधी, माता विरोधी एवं मध्यप्रदेश की मातृशक्ति की छवि खराब करने वाला है, अधिकारियों को अपने बयान के प्रति सचेत एवं जिम्मेवार रहना चाहिए। अमीर हो या गरीब, बेटा हो या बेटी, बच्चे के जन्मते ही हर मां अपने बच्चे को दूध पिलाती ही है, लाखों में एक केस में कई कारणों से ऐसा नहीं होता होगा। आखिर सारी महिलाएं बेटियां ही हैं वो जिंदा कैसे रह गईं।
कांग्रेस ने उठाए सवाल
कांग्रेस नेता नरेंद्र सलूजा ने वो वीडियो भी ट्वीट किया है, जिसमें मुख्यमंत्री बैठे हैं और एसीएस अशोक शाह संबोधित कर रहे हैं। सलूजा ने वीडियो के साथ लिखा है कि मुख्यमंत्री जी आपकी मौजूदगी में आपके विभाग के यह प्रमुख अधिकारी महिलाओ के लिये इतना लज्जा जनक और अपमानजनक बयान कैसे दे रहे है…? जरा इनसे पूछिए कि यह जानने का विभाग के पास कौन सा पैमाना है कि कौन सी मां बच्ची को स्तनपान कराती है और कौन सी नहीं…?
आँकड़ा ये कहाँ से लाये..?