सर्पिलाकार और देश के सबसे दुर्गम रास्तों से गुजरने का रोमांच आपको जोश से भर देगा। एक मासूम बच्चे की तरह अठखेलियां करते आप दूर-दूर तक पसरी हरियाली आपको नि:शब्द कर देती है और आप सिर्फ मुस्कुराते हो, जीभर के मुस्कुराते हो। तो वहीं कदम-कदम पर वन्य जीवों का खतरा होने का अहसास भी आपके ट्रैकिंग (Budhni Ghat Trek Bhopal) के मजे को दोगुना कर देता है।
एक साथ ग्रुप में निकलते हैं लोग
बता दें कि मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के लोगों के साथ दिल्ली समेत कई राज्यों के लोग मानसून में यहां Budhni Ghat Trekking का मजा लेने आते हैं। पर्यावरणविद, फोटोग्राफी के शौकीन, नेचर लवर्स, वाइल्ड लाइफ लवर्स, बर्ड लवर्स समेत स्कूल-कॉलेज के स्टूडेंट भी यहां (Budhni Ghat Trek in Bhopal) पहुंचते हैं।बुदनी के जंगलों से शुरू होता है ट्रैकिंग का सफर
बुदनी के जंगलों में स्थित मिडघाट सेक्शन से ये दल ट्रैकिंग का सफर शुरू करता है। दरअसल यही वो स्थान है जहां सैलानियों को ट्रैकिंग और जंगल के नियमों से जुड़ी जानकारी दी जाती है, ताकि दुर्गम पहाड़ों में रोमांच का सफर उनके लिए आसान हो जाए। वहीं यहां सभी से पर्यावरण को शुद्ध रखने की हिदायत देकर दल को ट्रैकिंग के लिए रवाना किया जाता है।कदम-कदम पर सांपों का खतरा
बुदनी के जंगल में लाखों जहरीलें सांप हैं, ऐसे में इन रास्तों पर अकेले नहीं जाया जा सकता। दल में विशेष रूप से अनुभवी ट्रैकर्स और डाक्टर्स के दल फर्स्ट एड किट लेकर ही जंगल में सैलानियों के बीच रहते हैं। जानकारों का कहना है कि ये दुर्गम पहाड़ ऐसे हैं जहां बरसों से कोई आता-जाता नहीं है। वहीं नेचर के करीब जंगली इलाकों में कदम-कदम पर सांप और बिच्छु के होने का खतरा बना रहता है। ऐसे में अलर्ट रहना बेहद जरूरी होता है।ऊंची-ऊंची चट्टानों पर की चढ़ाई
800 फीट ऊंचे पहाड़ पर चढ़ते हुए चट्टानें सीना तानकर खड़ी सी दिखाई देती हैं। एक तरफ बड़ी-बड़ी चट्टानें थी तो दूसरी तरफ गहरी खाई। दल के सदस्य एक-एक चट्टान को एक दूसरे की मदद पार करते हुए आगे बढ़ते हैं। घने जंगल और पहाड़ियों के बीच आप सिर्फ और सिर्फ रोमांच से भरे होते हैं।दूर-दूर तक हरियाली जीत लेती है मन
बड़ी-बड़ी चट्टानों को फतह कर जब दल के सदस्य पहाड़ की 800 फीट ऊंची चोटी पर पहुंचते हैं और मीलों दूर तक फैली हरियाली देखते हैं, तो ये पल बेहद खूबसूरत महसूस कराते हैं। मन शांत और प्रफुल्लित हो जाता है। कुदरत के खूबसूरत नजारे कैमरे में कैद करते लोग नहीं थकते।झरने पर खूब मस्ती
पहाड़ों पर बहते झरने पर दल के सदस्य जमकर मस्ती करते नजर आते हैं। झरने के पानी को हथेलियों के बीच भरकर एक-दूसरे पर पानी बौछार करने में जैसे बच्चे मस्त हो जाते हैं, ठीक वैसे ही बड़े भी एंजॉय करते नजर आते हैं।800 फींट ऊपर है मृगेंद्र नाथ का मंदिर
झरने को पार करते ही दल के सदस्य सबसे ऊंची चोटी की ओर बढ़ते हैं। इस चोटी पर बाबा मृगेंद्र नाथ का प्राचीन मंदिर है, जो आसपास बसे गांव के लोगों की आस्था का केंद्र है।ट्रेन का दुर्लभ दृश्य
मध्यप्रदेश में रेलवे का मिडघाट सेक्शन अपने आप में अनोखा है। करीब एक हजार फीट की ऊंचाई से जंगल से गुजरती ट्रेन ऐसी लगती है जैसे कोई सांप झाड़ियों में रेंगते हुए गुजर रहा है। इस खूबसूरत नजारे को देखते ही सैलानी खुशी से चिल्लाने लगते हैं। जैसे ट्रेन यात्री वादियों में गूंजती उनकी आवाज सुने लेंगे।30 किमी लंबी है नर्मदा की जलधारा
बुदनी के इस पहाड़ से जहां तक आपकी नजरें पहुंचती हैं दूर-दूर तक आपको हरियाली और नर्मदा का विहंगम दृश्य ही नजर आता है। नर्मदा नदी को एक नजर में करीब 30 किलोमीटर दूर तक फैला हुआ देखा जा सकता है। ऐसा नजारा दिखाने वाला मध्य प्रदेश का ये एकमात्र स्थान है। ये भी पढ़ें: Good News: कैंसर मरीजों के लिए खुशखबरी, AI करेगा कमाल, 14 प्रकार के कैंसर में तुरंत मिल सकेगा इलाज
जानें कहां है ‘मिडघाट ट्रैक’
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 65 किलोमीटर दूर बुदनी के जंगल में है ‘मिडघाट ट्रैक।’ इस स्थान पर रेल मार्ग से ही पहुंचा जा सकता है। पिछले 30 साल से इस स्थान पर यूथ होस्टल एसोसिएशन ऑफ इंडिया का एक दल लगातार जा रहा है। इसके लिए मिड घाट रेलवे स्टेशन पर उतरकर हरी-भरी वादियों में स्थित दुर्गम पहाड़ी रास्तों से 800 फीट ऊंची पहाड़ी पर पहुंचा जाता है। ये भारत के सबसे रोमांचकारी ट्रैकिंग स्पॉट में से एक है। सावधानीः यहां जाने के लिए अनुभवी ट्रैकर्स के साथ जाना चाहिए। कभी भी अकेले या परिवार के साथ न जाएं। क्योंकि यह स्थान रातापानी सेंचुरी के नजदीक होने के कारण यहां वन्यप्राणी बड़ी संख्या में हैं।