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भोपाल

मप्र सरकार को सता रहा है सच उजागर होने का डर, जानें क्या है मामला

बोर्ड गठित है, लेकिन बोर्ड का कार्रवाई विवरण उजागर करने से सरकार बच रही है…

भोपालOct 07, 2017 / 11:20 am

sanjana kumar

Ministry

District Administration also made bulk transfer

 

भोपाल। नौकरशाहों के तबादले को लेकर सरकार ने चुप्पी साध ली है। बार-बार पत्र व्यवहार के बाद सरकार ने यह तो बताया कि राज्य में तबादला बोर्ड गठित है, लेकिन बोर्ड का कार्रवाई विवरण उजागर करने से सरकार बच रही है।

केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय ने अपे्रल 2016 में मध्यप्रदेश सहित सभी राज्य सरकार को आदेश दिया था कि आईएएस अधिकारियों के तबादलों का कार्रवाई विवरण विभाग की बेवसाइट पर उजागर करना अनिवार्य है। आदेश का पालन एक जनवरी 2017 से किया जाना था, लेकिन 8 माह बाद भी इसका पालन नहीं हुआ है। आश्चर्य यह है कि राज्य में तबादला बोर्ड की स्थिति भी स्पष्ट नहीं है, जबकि, नौकरशाहों के तबादले बोर्ड के माध्यम से ही होना है। बोर्ड की सिफारिश पर कांट-छांट या संशोधन का अधिकार मुख्यमंत्री को है, लेकिन इसके लिए मुख्यमंत्री को कारण बताना होगा। इसका उल्लेख कार्यवाही विवरण में होगा। मालूम हो तबादलों में राजनैतिक सिफारिशें भी होती है, इसमें मंत्री, विधायक, सांसद से लेकर राजनैतिक दलों के प्रतिनिधि भी शामिल होते हैं।

डेडलाइन का भी पालन नहीं
आईएएस अधिकारियों के मामले में सुप्रीमकोर्ट ने 20 अक्टूबर 2013 सरकार को निर्देश दिए थे कि अफसरों का कार्यकाल अधिकतम दो साल हो, लेकिन इस आदेश का पालन नहीं हो रह है। स्थिति यह है कि छह-छह माह में अफसरों के तबादले हो रहे हैं। कुछ अफसरों के तबादले एक-एक और दो-दो दिन में भी हुए हैं।

तीन साल बाद मिली बोर्ड की जानकारी
लगातार तीन साल से आरटीआई के तहत राज्य में सिविल सर्विस बोर्ड की जानकारी मांगने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे कहते हैं कि उन्हें राज्य सरकार ने बोर्ड की जानकारी उपलब्ध नहीं कराई। केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय से जानकारी मांग गई तो केन्द्र ने जबाव दिया कि राज्य की ओर से बोर्ड की जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई। अब केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय ने बोर्ड की जानकारी उपलब्ध कराई है। इसमें कहा गया है कि वर्ष 2014 में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बोर्ड में तत्कालीन कृषि उत्पादन आयुक्त एमएम उपाध्याय को सदस्य बनाया गया है। मालूम हो उपाध्याय अब रिटायर हो चुके हैं। दुबे सवाल करते हैं कि यदि बोर्ड का गठन पहले ही हो चुका था तो सरकार ने उस समय केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय को जानकारी क्यों नहीं दी।

इधर RSS की बैठक के पहले कांग्रेस के सवाल

भोपाल। भोपाल में होने जा रही आरएसएस की बैठक के पहले प्रदेश कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं। प्रदेश कांगे्रस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा ने कहा-संघ प्रमुख यह बताएं कि संस्था का पंजीयन कब हुआ। साथ ही उन्होंने कहा कि संघ सरकार के भ्रष्टाचार पर क्यों चुप है। संघ प्रमुख मोहन भागवत कहते हैं कि ‘न संघ भाजपा को चलाता है और न भाजपा संघ को चलाती हैÓ। यदि यह यह सही है तो संघ की बैठकों में प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्यों, मुख्यमंत्री, राज्य मंत्रिमंडल के सदस्यों, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष आदि उपस्थित क्यों होते हैं। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में 13 साल से काबिज भाजपा सरकार, भाजपा नेताओं के विरुद्ध करोड़ों के भ्रष्टाचार के मामले, घपले-घोटाले सामने आए हैं, कतिपय नौकरशाहों और राजनेताओं की भ्रष्टाचार को लेकर जारी जुगलबंदी, छापों में करोड़ों-अरबों की चल-अचल संपत्तियां सार्वजनिक हुई हैं। फिर भी संघ प्रमुख ने केंद्र और विभिन्न राज्यों में भाजपा शासित सरकारों के सामने आए भ्रष्टाचार को लेकर अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी।

उन्होंने पूछा क्या इसे मूल्यों, सिद्धांतों और चरित्र का दोहरापन नहीं कहा जायेगा। कुछ इसी प्रकार की स्थिति अन्य भाजपा शासित राज्यों की है।

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