180 मीटर से नीचे होते ही चलाना पड़ते हैं पटाखे
रेलवे के इंजीनियरिंग तकनीकि नियमों के अनुसार विजुबिलिटी (दृश्यता) यदि 18 0 मीटर से कम हो तो इसे कम मान लिया जाता है। इस दायरे में कुछनजर नहीं आए तो इसे फॉग मान लिया जाता है। ब्यावरा स्टेशन पर 100 मीटर तक की दृश्यता रहने के कारणरात में सभी गाडिय़ां पटाखे चलाकर निकाली गई। पटाखे चलाने से पायलट अलर्ट हो जाते हैं और हादसे वैगरह नहीं होते। घना कोहरा छाया रहने के कारण मक्सी-रुठियाई ट्रेक पर चलने वालीं प्रमुख ट्रेनों की रफ्तार भी धीमी पड़ गई। काफी सावधानी के साथ ट्रेनें रवाना की गईं।
रेलवे के इंजीनियरिंग तकनीकि नियमों के अनुसार विजुबिलिटी (दृश्यता) यदि 18 0 मीटर से कम हो तो इसे कम मान लिया जाता है। इस दायरे में कुछनजर नहीं आए तो इसे फॉग मान लिया जाता है। ब्यावरा स्टेशन पर 100 मीटर तक की दृश्यता रहने के कारणरात में सभी गाडिय़ां पटाखे चलाकर निकाली गई। पटाखे चलाने से पायलट अलर्ट हो जाते हैं और हादसे वैगरह नहीं होते। घना कोहरा छाया रहने के कारण मक्सी-रुठियाई ट्रेक पर चलने वालीं प्रमुख ट्रेनों की रफ्तार भी धीमी पड़ गई। काफी सावधानी के साथ ट्रेनें रवाना की गईं।
पटाखे चलाकर निकालीं गाडिय़ां
रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग की टीम ने रात के समय दृश्यता कम होने पर पटाखे चलाकर गाडिय़ां रवाना कीं। दृश्यता काफी कम होने के कारण रेलवे के नियमानुसार यह किया गया। इस सीजन का यह पहला मौका था जब ऐसी स्थिति बनीं। पांच गाडिय़ां रात में पटाखे चलाकर ही रवाना की गईं।
रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग की टीम ने रात के समय दृश्यता कम होने पर पटाखे चलाकर गाडिय़ां रवाना कीं। दृश्यता काफी कम होने के कारण रेलवे के नियमानुसार यह किया गया। इस सीजन का यह पहला मौका था जब ऐसी स्थिति बनीं। पांच गाडिय़ां रात में पटाखे चलाकर ही रवाना की गईं।
-पी. एस. मीना, स्टेशन मास्टर, ब्यावरा