एरण में नहीं रुकने-पहुंचने की सुविधा
सागर जिले में स्थित एरण में पुरापाषाण काल में आज से एक लाख साल पहले भी मनुष्य रहता था। इसका सबूत है यहां मौजूद खानाबदोश प्राचीन मानव के शिकार करने के पत्थर की कुल्हाडिय़ां मांस निकलने वाली पत्थर की खुरपिया ब्लेड़े। यहां करीब 5 हजार साल पुरानी मिट्टी की दीवार सयताओं को आज संजोए हुए है। सिक्के, मुहरों से लेकर 510 साल पुराना पहला सती स्तंभ भी यहां मौजूद है, लेकिन उस तक पहुंचने का रास्ता नहीं बन सका। एरण को विश्वधरोहर होने का स्थान भी नहीं मिला। एरण उपेक्षा झेल रहा है। यहां वह सब है जो विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता है, लेकिन यहां पहुंचना, रहना और आधुनिक संसाधनों के आदि पर्यटकों के अनुकूल होटल, रिसोर्ट, कैंङ्क्षपग बोङ्क्षटग आदि के लिए पैकेङ्क्षजग नहीं है। यदि ये सुविधाएं मिलेंगी तो बड़ी संया में लोग ऐरण पहुंचने लगेंगे।राहतगढ़ वॉटरफॉल देखने पहुंचते हैं पर्यटक
सागर-भोपाल मार्ग पर करीब 40 किमी दूर स्थित राहतगढ़ वॉटरफॉल बेहद लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट है। यहां बारिश के दिनों में बड़ी संया में लोग पहुंचते हैं, लेकिन यहां भी पर्यटकों के लिए सुविधाएं नहीं है। गर्मियों की मौसम में झरना सूख जाता है। किले की देखरेख नहीं हो रही है। प्राचीन काल में यह अपने कंगूरेदार दुर्ग, प्राचीन द्वारों, महल और मंदिरों-मस्जिदों के लिए प्रसिद्ध था। कालांतर में सब नष्ट होता चला गया और अब यहां दुर्ग के सिर्फ अवशेष बचे हैं। यदि इस क्षेत्र का विकास होता है तो भेड़ाघाट की तरह यहां भी बड़ी संया में पर्यटक पूरे मप्र से पहुंचने लगेंगे।
कि ले में नहीं लगा कोई शिलालेख
शहर से करीब 1० किलोमीटर दूर पुराना सागर था। वहां आज भी गढ़पहरा का किला और एक शीश महल मौजूद है। इससे जुड़ी एक कहानी है, जो सैकड़ों वर्षों से रहस्य बनी हुई है। कहा जाता है कि गढ़पहरा किले में एक नर्तकी की रूह भटकती है। कई लोग उसकी रूह को देखने का दावा करते हैं। इसके अलावा प्राचीन हनुमान मंदिर भी है। किले का कोई संरक्षण पुरात्तव विभाग के द्वारा नहीं किया गया। यहां पर कोई शिलालेख भी नहीं लगा है, जिससे लोगों को जानकारी मिल सके।
सुंदर है राजघाट बांध
राजघाट बांध पर बारिश और ठंड के मौसम में रोजना सैकड़ो की संया में लोग कुछ पल सुकून से बिताने और मौसम का लुत्फ उठाने परिवार व दोस्तों के साथ पहुंचते हैं। फिलहाल यहां पर लोगों को खाने-पीने से लेकर रुकने की कोई व्यवस्था नहीं है। यह भी शहर का सुंदर पिकनिक स्पॉट विकसित हो सकता है।प्रचार-प्रसार बढऩे से बढ़ेगी लोगों की संया
डॉ. हरि ङ्क्षसह गौर विवि में इतिहासकार नागेश दुबे ने बताया कि सागर में ऐतिहासिक और धार्मिक दोनों पर्यटन स्थल हैं। गढ़पहरा का किला, राहतगढ़ का किला, आपचंद की गुफाएं और एरण सहित कई प्राचीन स्थल हैं। इन स्थानों पर पहुंचने के लिए पहुंचमार्ग को आसान बनाना चाहिए। साथ ही अन्य बड़े-बड़े शहरों के जैसे स्थानों की जानकारी स्टेशन और बस स्टैण्ड आदि क्षेत्रों पर मिलनी चाहिए। शहर में आने वाले नए महमानों की जब इनकी जानकारी मिलेगी तो इन क्षेत्रों पर ज्यादा लोग पहुंचना शुरू होंगे। इससे सरकार की आय भी बढ़ेगी। स्थानीय पंचायतों के द्वारा भी इन क्षेत्रों का प्रचार होना चाहिए।