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इसे स्मोक कैस्केड के नाम से भी जाना जाता है, एक 98 फीट ऊंचा जलप्रपात है जिसका पानी नीचे की ओर गिरकर, मार्बल रॉक्स से होकर बहता है। गिरते पानी के छींटे और खिलती धूप में इस दुधियां रंग में इंद्रधनुष के रंग दिल को खुशी महसूस कराते हैं। नर्मदा नदी की एक बड़ी धारा का ऊपर से नीचे गिरने का यह कुदरती नजारा आपको ऐसे पुकारता है कि आप इसकी ओर खींचे चले आते हो। दूर से ही झरने की आवाज आपको बुलाती है और आपका दिल जीत लेती है। यह जलप्रपात जबलपुर से 30 किमी दूर भेड़ाघाट में है। यह जलप्रपात सितम्बर से मार्च के बीच देखने का सबसे अच्छा समय होता है। यहां तक पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका टैक्सी या कैब है। वहीं जबलपुर रेलवे स्टेशन से भेड़ाघाट के लिए बसें भी चलती हैं।
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2. पातालपानी झरना, इंदौर
इंदौर शहर से लगभग 35 किमी दूर पर स्थित, पातालपानी झरना एक अद्भुत पर्यटन स्थल है जो, टूरिस्ट को आकर्षित करता है। मध्यप्रदेश में कई झरनों के बीच, यह एक मौसमी झरना है, यानी इस जगह पर जाने का सबसे अच्छा समय जुलाई से अक्टूबर के बीच ही रहता है। इंदौर के दक्षिण-पश्चिम में केकरिया डाबरी में स्थित इस 150 फीट ऊंचे झरने तक इंदौर रेलवे स्टेशन से कैब या टैक्सी लेकर पहुंचा जा सकता है। हालांकि पातालपानी का अपना रेलवे स्टेशन भी है, यह अन्य रेलवे स्टेशनों के साथ नैरो-गेज कनेक्शन के कारण सुलभ नहीं है। झरना इंदौर के पास एक अच्छा पिकनिक स्पॉट है। स्थानीय लोग तो हर वीकेंड पर यहां आना पसंद करते हैं।
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3. रानेह वाटर फॉल, छतरपुर
मध्य प्रदेश में कई झरनों के बीच एक अनजान, रानेह जलप्रपात खजुराहो शहर से लगभग 22 किमी की दूरी पर है। यह खूबसूरत और अपनी तरह का अनूठा झरना केन नदी पर है। एक खूबसूरत घाटी में होने से यह और भी हसीन दिखाई देता है। विभिन्न रंगों में शुद्ध क्रिस्टलीय ग्रेनाइट से बना, इस मिनी ग्रांड कैन्यन में नियमित रूप से दर्जनों छोटे और बड़े झरने हैं। पन्ना जिले से 44 किमी दूर स्थित, झरना पन्ना राष्ट्रीय उद्यान के शुरुआत में ही है। यह एक हरा-भरा प्राचीन जंगल है जो स्वर्ग की तरह अलौकिक नजर आता है। यहां सालभर घूमा जा सकता है। लेकिन सर्दियों के मौसम में इसकी खूबसूरती अपने चरम पर होती है।
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4. पांडव जलप्रपात, पन्ना
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व में एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र है पांडव जलप्रपात। यह एक बारामासी झरना है। यह झरना पन्ना जिले से 12 किमी दूर स्थित है। कैब या निजी वाहन से आप यहां पहुंच सकते हैं। चूंकि यह पन्ना राष्ट्रीय उद्यान के अधिकार में आता है, इसलिए इस खूबसूरत झरने की यात्रा पर जाते हैं तो कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। पन्ना नेशनल पार्क में कुछ ऐसे रिसॉर्ट हैं जो, राष्ट्रीय उद्यानों के बीच में आपके ठहरने को यादगार बना सकते हैं। झरने का नाम एक पौराणिक कथा से मिलता है। इसके अनुसार पांडव यहां आकर 5 गुफाओं में रहे थे। ये गुफाएं फॉल के पास ही मौजूद हैं। माना जाता है कि उन्होंने अपने निर्वासन काल या अज्ञातवास के दौरान इस क्षेत्र कुछ समय गुजारा था। 100 फीट के झरने के तल पर एक सुंदर तालाब भी है जहां रोहू मछली का पालन किया जाता है।
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इंदौर शहर से लगभग 25 किमी की थोड़ी दूरी पर, तिनचा जलप्रपात या झरना है। यह झरना इंदौर और उसके आसपास के सबसे अच्छे झरनों में से एक है। शहर से पास होने के कारण स्थानीय लोगों की यह पहली पसंद है। यहां वीकेंड बड़ी ही खूबसूरती से बिताया जा सकता है। तिनचा गांव के पास स्थित इस झरने की सुंदरता बारिश के आगमन के साथ ही बढ़ जाती है। ये फॉल्स 300 फीट की ऊंचाई से गिरते हैं। हालांकि इसे बेहद खतरनाक माना जाता है। इसीलिए इसके मुख्य क्षेत्र में स्नान और तैराकी पूरी तरह से प्रतिबंधित है। फॉल्स के पास कई लंबी पैदल यात्रा के रास्ते, खेत और घाट हैं। इस जगह पर जाने का सबसे अच्छा समय मानसून का है। यानी जुलाई से नवंबर के बीच आप यहां आ सकते हैं।
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रीवा शहर से 72 किमी दूर स्थित (भारतीय नियाग्रा) मध्यप्रदेश के झरनों में सबसे ऊंचा है। ओड्डा नदी रीवा पठार से उतरती है तो, 466 फीट का विशाल जलप्रपात बनता है। यह जलप्रपात पानी के लंबवत गिरने के साथ एक झरना बनाने वाले निक पॉइंट का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इसकी खूबसूरती ऐसी है कि हर कोई देखता रह जाता है। जंगल में बसे मध्य प्रदेश के ये झरने ऐसे हैं जहां प्रकृति प्रेमी पहुंच ही जाते हैं। हालांकि यहां कम ही लोग पहुंच पाते हैं क्योंकि इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि आस-पास कोई प्रमुख रेलवे स्टेशन तक नहीं है। निकटतम रेलवे स्टेशन सतना है, जहां बार-बार जाने की सुविधा आपको नहीं मिलती।
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सिल्वर फॉल के नाम से मशहूर यह हॉर्सटेल टाइप वॉटरफॉल 351 फीट ऊंचा है। जब सूर्य की रोशनी इस पर पड़ती है, तो यह चांदी सा चमकता नजर आता है। पचमढ़ी के पास अप्सरा विहार से चट्टानों और शिलाखंडों पर एक छोटा सा ट्रेक भारत में 30वें सबसे ऊंचे झरने तक पहुंचने के लिए बना है। यह पचमढ़ी के प्रमुख झरनों में से एक है। इन झरनों का हिंदू पौराणिक कथाओं और कई लोक कथाओं से गहरा संबंध है और यदि कोई दिलचस्पी लेता है, तो उन्हें टूर गाइड से सुना जा सकता है।
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8. बी फॉल्स, पचमढ़ी
एक सूर्यास्त बिंदु वाला झरना, यह पचमढ़ी झरनों में सबसे लोकप्रिय है। यह एक ऐसे स्थान पर है, जो महाभारत के समय का है। किंवदंती है कि पांडव अपने निर्वासन के समय इन पहाडिय़ों में रहते थे। पचमढ़ी में पांडव गुफा नामक स्थान भी है। इन झरनों में न केवल सबसे पोषित स्नान कुंड है, बल्कि पीने का पानी भी उपलब्ध है। अधिक ऊंचाई और चट्टानी पहाड़ी से गिरने के कारण पानी की बूंदे बिखर जाती हैं और जब यहां स्नान किया जाता है तो ये तेज शरीर पर लगती है। कहा जाता है कि जो भी झरने की इन तेज धाराओं में नहाने आता है तो तेज धार से ऐसी चोट महसूस होती है, जैसे मधुमक्खी ने काट लिया हो, इसीलिए इसका नाम बी फॉल रखा गया है। मध्यप्रदेश में यह स्थान एक हिल स्टेशन के लिए जाना जाता है और बी फॉल इसकी खूबसूरती को दोगुना बढ़ा देता है।
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9. पावा जलप्रपात, शिवपुरी
शिवपुरी से 40 किमी दूर पोहरी शहर में पावा जल प्रपात है। कई धाराओं में यहां झरने एक साथ बहते हैं। ये 100 फीट की ऊंचाई से गिरते हैं। इनका भी हिंदू पौराणिक कथाओं में एक अलग ही स्थान है। भगवान शिव की एक लुभावनी मूर्ति झरने को आध्यात्मिकता से जोड़ती है। यहां स्कूबा डाइविंग और स्नॉर्कलिंग और इस तरह की वॉटर एक्टिविटीज के लिए 500 फीट गहरा पावा कुंड जाना जाता है। हालांकि, इन एक्टिविटीज के लिए आवश्यक किट स्थान पर किराए पर उपलब्ध नहीं रहती है। अक्टूबर और मार्च के अंतिम महीने इन झरनों के सर्वोत्तम दृश्य देखने के लिए उपयुक्त हैं। यह झरना पावा नदी से बनता है इसीलिए इसका नाम पावा पड़ा।
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10.कपिलधारा जलप्रपात, अमरकंटक
यह जलप्रपात मध्यप्रदेश के अमरकंटक जिले में है। यह नर्मदा कुंड से 6 किमी की दूरी पर स्थित है। लगभग 100 फीट की ऊंचाई से गिरने वाला यह जल प्रपात नर्मदा नदी से निकलता है। इसका नाम प्रसिद्ध ऋषि कपिल के नाम पर पड़ा, जो कभी इस खूबसूरत भूमि के निवासी थे और कई धार्मिक अनुष्ठान करते थे। कहा जाता है कि उन्होंने दिव्य प्रकाश प्राप्त किया था। कपिल मुनि ने गणित पर एक उन्नत ग्रंथ ‘सांख्य दर्शन’ लिखा था। अमरकंटक के घने जंगलों में कपिलधारा जलप्रपात राजसी पहाड़ों, घने जंगलों और निचली पहाडिय़ों के बीच बहता है। हालांकि इस झरने की खूबसूरती निहारने आप पूरे साल में कभी भी जा सकते हैं, लेकिन बेस्ट टाइम सितंबर से जनवरी का होता है।
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11. चचाई जलप्रपात, रीवा
मध्यप्रदेश के झरनों में दूसरा सबसे ऊंचा जलप्रपात है चाचाई जलप्रपात। इसकी ऊंचाई 400 फीट है। रीवा शहर के उत्तर में स्थित, झरना 40 किमी दूर है और यह बीहड़ नदी पर स्थित है। ये फॉल्स भी निक पॉइंट कायाकल्प का एक शानदार एग्जैम्पल है। चित्रकूट पहाडिय़ों पर मौजूद होने के कारण यह झरना पर्यटकों के बीच बेहद प्रसिद्ध है। इन पहाडिय़ों का पौराणिक और धार्मिक महत्व भी है। मानसून के इन दिनों में यहां की खूबसूरती देखते बनती है। यहां जाने के लिए आपको सीधा रास्ता नहीं मिलेगा। पहले आपको रीवा जाना होगा, फिर यहां से एक निजी टैक्सी किराए पर लेनी होगी। अगस्त और फरवरी के महीनों के बीच झरनों की खूबसूरती आपके मन को छू लेगी।
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शिवपुरी के तीन प्रमुख झरनों में भूरा खोन झरना भी शामिल है। इस झरने को झरते देख आपका मन कुदरत की खूबसूरती के लिए बार-बार शुक्रिया जरूर कहेगा। इसीलिए इसे सबसे मनोरम झरना भी कहा जाता है। यहां के झरते पानी की आवाज कानों को मीठी लगती है। यह झरना 82 फीट ऊंचाई से गिरता है। झरने के नीचे बने कुंड में टूरिस्ट गोता लगाते नजर आते हैं। झरने के चारों ओर छोटे-छोटे शिवालय अध्यात्म का एक सुंदर समां बनाते हैं। आप यहां अक्टूबर से जून के महीनों में आराम से घूम सकते हैं।