मध्यप्रदेश 526 बाघों के साथ देश में पहले नंबर पर है, जिसे टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त है। अब चंबल नदी के घड़ियालों की गिनती अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक दर्ज हुई है। अकेले चंबल नदी में ही 1255 घड़ियाल पाए गए हैं। वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट आफ इंडिया की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। जबकि विभाग की ओर से की गई गिनती में आंकड़ों का आंकड़ा और अधिक बताया जा रहा है। जबकि दूसरे नंबर पर बिहार है, जहां की गंडक नदी में घड़ियालों की संख्या 255 ही बताई गई है। वाइल्ड लाइफ के अफसरों का कहना है कि टाइगर के संरक्षण के बाद अब जलीय जीव संरक्षण और संवर्धन के मामले में भी मध्यप्रदेश को बड़ी सफलता मिली है।
खुश हैं वन मंत्री
वन मंत्री उमंग सिंघार कहते हैं कि यह उपलब्धि अधिकारियों के परिश्रम का नतीजा है। उन्होंने प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि घड़ियाल देश से विलुप्त होने की कगार पर थे, किन्तु राज्य में किए गए अथक प्रयासों से घड़ियालों को बचा लिया।
दुनिया में केवल 200 घड़ियाल ही थे
बताया जाता है कि चार दशक पहले घड़ियालों की संख्या खत्म होने की कगार पर पहुंच गई थी। तब दुनिया में केवल दो सौ घड़ियाल ही बचे थे। इनमें से पूरे भारत में 96 और चंबल नदी में 46 घड़ियाल ही बचे थे। चंबल नदी में इन घड़ियालों को बचाने के लिए मुरैना जिले में चंबल नदी के 435 किलोमीटर क्षेत्रफल को चंबल घड़ियाल अभयारण्य घोषित कर दिया गया था। यह अभयारण्य उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्यप्रदेश से लगा हुआ है। यह भी बताया जाता है कि दुनियाभर में भारत, नेपाल और बांग्लादेश ही ऐसे देश हैं, जहां घड़ियाल बचे हैं। घड़ियाल स्वच्छ और गहरे पानी में ही अपना ठिकाना बनाते है और कुनबा बढ़ाते हैं।
12 दुर्लभ प्रजाति के पंछी
कुनो राष्ट्रीय उद्यान में कराए गए सर्वेक्षण में भी पंछियों की नई प्रजातियों का पता चला है। इनकी संख्या 174 है। इनमें से 12 दुर्लभ प्रजाति के हैं। इनमें एल्पाइन स्विफ्ट, यलो लेग्ड बटनक्लेव, इंडियन स्पाटेड क्रीपर, साइबेरियन रूबीथ्रोट, ब्ल्यू केप्ड रॉक थ्रश, ग्रे बुशचट और व्हाइट केप्ड बंटिंग प्रमुख हैं। देश में भी इन पंछियों की प्रजातियां बमुश्किल ही मिलती हैं। लगभग 60 लोगों की 22 टीमों ने 44 सर्वे रूट पर पंछियों का सर्वे किया।