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Tiger Reserve: वाइल्ड लाइफ लवर्स के लिए खुशखबरी, टाइगर स्टेट MP में अब 7 नहीं 9 टाइगर रिजर्व

Tiger reserve: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राज्य वन्यप्राणी बोर्ड में दी सहमति, रातापानी के साथ ही ये नेशनल पार्क भी बनेगा एमपी का नया टाइगर रिजर्व…

भोपालSep 28, 2024 / 08:46 am

Sanjana Kumar

एमपी में अब 9 टाइगर रिजर्व

Tiger Reserve in MP: रायसेन जिले के रातापानी वन्यजीव अभयारण्य और माधव राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में शुक्रवार रात को मुख्यमंत्री निवास पर हुई राज्य वन्यप्राणी बोर्ड की बैठक में दोनों प्रस्तावों पर सहमति बनी है। अभी प्रदेश में 7 टाइगर रिजर्व है, दो नए टाइगर रिजर्व के अस्तित्व में आने के बाद इनकी संख्या 9 हो जाएगी।
रातापानी को इस साल के अंत तक व माधव को अगले वर्ष तक रिजर्व बनाने की कार्रवाही होगी। इससे बाघों का सुरक्षा घेरा बढ़ेगा। जिन रिजर्वों में बाघों की संख्या अधिक है, वहां से इन नए रिजर्वों में उनकी शिफ्टिंग की जाएगी। रायसेन से इस बारे में जन प्रतिनिधियों ने कई बार मांग उठाई थी।

माधव राष्ट्रीय उद्यान में फिर से बसाए जा रहे बाघ

माधव राष्ट्रीय उद्यान शिवपुरी में है जो 1956 में अस्तित्व में आया। शुरू में इसका क्षेत्रफल 167 वर्ग किमी था जिसे बढ़ाकर 354 वर्ग किमी किया गया। यहां वन्यप्राणी चिंकारा, चिकारे और चीतल की बड़ी संख्या में हैं। नीलगाय, सांभर, चौसिंगा, कृष्णमृग, स्लोथ रीछ, तेंदुए, लंगूर पाए जाते हैं।
यहां से फिर से बाघों को बसाया जा रहा है। इसके लिए 3 बाघ छोड़े हैं। हाल ही में एक मादा बाघ ने शावक को जन्म दिया है। यहां 2 बाघ और छोड़े जाने हैं।

इन प्रस्तावों को भी हरी झंडी

घायल वन्यप्राणियों को सुरक्षा पहुंचाने के लिए संभाग स्तर पर रेस्क्यू स्क्वायड बनेंगे। प्रदेश के जंगलों में पाई जाने वाली वन्यप्राणियों, पक्षियों व सांपों की प्रजाति को बसाने के पुन: प्रयास होंगे। सोन घडिय़ाल अभयारण्य में अलग-अलग काम होंगे। जिन छोटे-छोटे कामों के लिए प्रस्ताव केंद्र भेजने पड़ते थे, उनकी अनुमतियां अब चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन स्तर से ही मिलेगी। इसके अलावा भी बोर्ड की बैठक में अन्य प्रस्तावों पर सहमति बनी।

रातापानी को लेकर 16 वर्षों से चल रही थी कवायद

रातापानी वन्यजीव अभयारण्य 1983 में अस्तित्व में आया था जिसका अधिसूचित क्षेत्रफल 823.065 वर्ग किलोमीटर है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने 2008 में इसे रिजर्व बनाने की सैद्धांतिक सहमति दी थी जिस पर बार-बार अड़ंगे लगते रहे।
वर्तमान में यहां 55 से अधिक बाघ और 10 से अधिक युवा बाघ है। पिछले 15 वर्षों में यहां 11 तेंदुए और 7 से अधिक बाघों की मौत रेलवे ट्रैक पार करते समय ट्रेन की चपेट में आने से हुई। बाघों के बढ़ते घनत्व को देखते हुए अभयारण्य को रिजर्व क्षेत्र घोषित किया जा रहा है। इसके रिजर्व बनने से रायसेन, भोपाल समेत आसपास के क्षेत्रों में पर्यटन बढ़ेगा, रोजगार के अवसर भी खुलेंगे।

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