भोपाल

Loksabha Election 2024 : एमपी की वो हॉट सीटें जहां दांव पर लगी है दिग्गजों की साख, चौंका रहे हैं समीकरण

इस बार मध्य प्रदेश में कुल 4 चरणों में लोकसभा चुनाव 2024 के मतदान होने जा रहे हैं। इस रिपोर्ट के जरिए हम नजर डाल रहे हैं मध्य प्रदेश की 7 हॉट सीटों पर।

भोपालMar 17, 2024 / 10:32 am

Faiz

Loksabha Election 2024 : एमपी की वो हॉट सीटें जहां दांव पर लगी है दिग्गजों की साख, चौंका रहे हैं समीकरण

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भारतीय निर्वाचन आयोग ने शनिवार को मतदान से लेकर मतगड़ना तक की तारीखों का ऐलान कर दिया है। इसी ऐलान के साथ देशभर में आदर्श आचार संहिता लागू हो चुकी है। इस बार कुल 7 चरणों में मतदान होंगे। चुनाव 19 अप्रैल से 1 जून तक होंगे, जबकि मतगणना 4 जून को होगी। वहीं, बात करें मध्य प्रदेश की तो यहां कुल 4 चरणों में मतदान होंगे। एमपी में सबसे पहले 19 अप्रैल को, फिर 26 अप्रैल, फिर 7 मई और फिर 13 मई को मतदान होंगे। 2019 के लोकसभा चुनाव नतीजों पर गौर करें तो प्रदेश की कुल 29 लोकसभा सीटों में से 28 पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस के खाते में सिर्फ एक ही सीट आई थी।

इस बार के चुनाव में प्रदेश ही नहीं, बल्कि देशभर की नजरें सूबे की उन 7 लोकसभा सीटों पर टिकीं हैं, जहां पार्टियों के दिग्गज चुनाव मैदान में उतरे हैं। इस रिपोर्ट में हम डालते हैं प्रदेश की उन्हीं हॉट सीटों पर एक नजर।

 

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मध्य प्रदेश की गुना लोकसभा सीट पर होने वाली चुनावी लड़ाई पर नजरें होंगी। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया 2019 में कांग्रेस के टिकट पर इसी सीट से हार गए थे। हालांकि, भाजपा के जिस नेता से वो चुाव हारे पार्टी ने इस बार उसी नेता का टिकट काटकर सिंधिया को टिकट दे दिया। अपनी हारी हुई इसी सीट को दौबारा हासिल करने के लिए चुनाव मैदान में हैं। इस सीट को सिंधिया परिवार का गढ़ माना जाता है, लेकिन 19 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर बड़ा उलटफेर हुआ था। पिछले चुनाव में सिंधिया के सामने भाजपा ने केपी सिंह यादव को मैदान में उतार दिया था। सिंधिया 1.26 लाख मतों से हार गए थे। अब सिंधिया भाजपा से इसी सीट से चुनाव मैदान में लौट आए हैं।

 

महाकोशल क्षेत्र की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट 1980 से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का गढ़ कही जाती है। हाल ये कि छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र की सभी 7 विधानसभा सीटें भीकांग्रेस के पास हैं। कमलनाथ ने 9 बार इस सीट से प्रतिनिधित्व किया है। कमलनाथ की पत्नी अलका नाथ ने 1996 में इस सीट से चुनाव जीता था। फिर बेटे नकुल नाथ ने 2019 में इसी सीट से जीत दर्ज की थी। बता दें कि पिछले 7 दशकों में सिर्फ एक बार ही भाजपा इस सीट से चुनाव जीत सकी है।

 

भाजपा ने इस बार पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दो दशक बाद दोबारा विदिशा सीट से चुनावी मैदान में उतार दिया है। शिवराज इस सीट पर अपना छठा संसदीय चुनाव लड़ेंगे। अटल बिहारी वाजपेयी 1991 और सुषमा स्वराज 2009 और 2014 के चुनावों में इस लोकसभा सीट से निर्वाचित हुए थे। शिवराज सिंह चौहान का गृह क्षेत्र बुधनी विदिशा लोकसभा सीट में आती है। ये भाजपा का गढ़ रही है। इस सीट से कांग्रेस ने 1967 के बाद से केवल दो बार 1980 और 1984 में चुनाव जीता है।

 

इस लोकसभा क्षेत्र को भाजपा का गढ़ माना जाता है। आलम यह कि 1989 के बाद भाजपा को भोपाल लोकसभा सीट पर कभी हार का सामना नहीं करना पड़ा है। इस लोकसभा क्षेत्र में भोपाल और पड़ोसी सीहोर जिले शामिल हैं। बीजेपी नेता उमा भारती (1999) और पूर्व सीएम कैलाश जोशी (2004 और 2009) में भोपाल लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनावों में इस सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह मैदान में थे। उन्हें मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपी भाजपा की प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने 3.65 लाख मतों के अंतर से हराया था। बीजेपी ने इस बार उन्हें टिकट नहीं दिया है।

 

उत्तर प्रदेश की झांसी शहर की सीमा से लगे बुंदेलखंड क्षेत्र की टीकमगढ़ (एससी) लोकसभा सीट मध्य प्रदेश की हॉट सीटों में शुमार है। केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार जो इस सीट से सांसद हैं। बीजेपी ने उनको चौथी बार चुनाव मैदान में उतारा है। वीरेंद्र कुमार इस सीट से 2004, 2014 और 2019 में इस सीट से जीत दर्ज कर चुके हैं। कांग्रेस ने वीरेंद्र कुमार के खिलाफ पंकज अहिरवार को मैदान में उतारा है। पंकज अहिरवार (Pankaj Ahirwar) कांग्रेस एससी सेल की टीकमगढ़ इकाई के अध्यक्ष हैं।

 

भाजपा ने अपने प्रदेश अध्यक्ष और लोकसभा सदस्य विष्णु दत्त शर्मा को खजुराहो लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा है। वह लगातार दूसरी बार इस सीट से दो-दो हाथ करेंगे। भाजपा साल 2004 से इस सीट से लगातार चुनाव जीतती रही है। उमा भारती 1989 और 1998 के बीच चार बार इस सीट से निर्वाचित हुईं। साल 1999 में वरिष्ठ कांग्रेस नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी खजुराहो से चुने गए थे। फिर 2004 में भाजपा के राम कृष्ण कुसुमरिया ने इस सीट से जीत दर्ज की थी। तब से यह सीट भाजपा का गढ़ बनी हुई है।

 

भाजपा ने मंडला लोकसभा सीट से फग्गन सिंह कुलस्ते को टिकट दिया है। यहां बता दें कि फग्गन सिंह 2023 का विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। उन्होंने केंद्रीय मंत्री और लोकसभा सदस्य रहते हुए मंडला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। अब एक बार पार्टी ने उन्हें इसी सीट से चुनावी मैदान में उतारा है। फग्गन सिंह 2009 को छोड़कर साल 1996 के बाद से लगातार इस सीट से लोकसभा चुनाव जीते हैं। 2009 में कांग्रेस उम्मीदवार बसोरी सिंह मसराम ने उन्हें हराया था। कांग्रेस ने फग्गन सिंह के खिलाफ डिंडोरी से मौजूदा विधायक और मंडला से पूर्व मंत्री ओमकार सिंह मरकाम को चुनाव मैदान में उतारा है। इसलिए इस बार इस सीट पर रोचक चुनावी जंग देखने को मिलेगी।

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