खजूर खाकर ही रोजे खोले जाते हैं, हालांकि, किसी के पास खजूर उपलब्ध नहीं है तो वह पानी पीकर भी रोजे खोल सकता है। इफ्तार के वक्त खजूर खाना ‘सुन्नत’ माना जाता है। (पैगंबर मोहम्मद जो भी काम करते थे, उन्हें सुन्नत करार दिया गया है।) रमजान में खजूर खाने की एक वजह यह भी है।
खजूर खाने से शरीर को मिलती है ताकत…
खजूर खाने से शरीर को काफी शक्ति को मिलती ही है साथ ही खजूर खाने से भूख कम लगती है और कोई परेशानी नहीं होती। खजूर खाने से पाचन तंत्र मजबूत रहता है। इसमें काफी मात्रा में फायबर पाया जाता है, जो कि शरीर के लिए बहुत जरूरी होती है। सारा दिन भूखा और प्यासा रहने की वजह से शरीर में कमजोरी आ जाती है, ऐसे में खजूर खाने से शरीर को ताकत मिलती है।
खजूर में पाया जाता है आयरन …
खजूर में ग्लूकोज, सुक्रोज और फ्रुक्टोज पाए जाते हैं, जिससे शरीर को तुरंत एनर्जी मिलती है। खजूर का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी कम होता है, जिससे दिल की बीमारियां होने का खतरा नहीं रहता। इसके अलावा इसमें पोटेशियम काफी मात्रा में पाया जाता है, वहीं सोडियम की मात्रा कम होती है, ये नर्वस सिस्टम के लिए फायदेमंद होता है। खजूर में आयरन पाया जाता है, जो कि खून से संबंधित बीमारियों से निजात दिलाता है।
एक रोजा सबसे अधिक समय वाला …
रमजान का पवित्र मास रोजों के कारण तो वैसे ही खास होता है लेकिन इस बार ये कुछ और भी अलग होगा। पिछले 36 साल में इस वर्ष रमजान का एक रोजा सबसे अधिक समय वाला यानि सबसे लंबा होगा। ये रोजा करीब 15 घंटे का होगा है।
गर्मी के तीखे होते तेवर के बीच रोजेदारों के लिए ये किसी परीक्षा से कम नहीं। अगर चांद नजर आया तो रमजान का महीना 6 मई से शुरू हो जाएगा। इस दिन पहला रोजा होगा। पहले दिन सुबह 4.38 बजे जहां सेहरी का वक्त खत्म होगा वहीं इफ्तार का समय शाम 6.50 बजे है।
रमजान का ये पहला रोजा 14 घंटे 12 मिनट का होगा। वहीं आखिरी रोजे में सेहरी का वक्त सुबह 4.24 बजे है तो इफ्तार शाम 07.03 बजे होगा। ये रोजा 14 घंटे 39 मिनट का रहेगा।
होंगे चार जुमा…
इस साल माहे रमजान के दौरान चार जुमा होंगे। जुमे की नमाज के कारण ये दिन और रोजा खास हो जाता है।
5 मई से शुरू हो होगा तरावीह का दौर
चांद देखने 5 मई को मोती मस्जिद में रूहते हिलाल कमेटी की बैठक होगी। शहर काजी की अध्यक्षता में इस दिन कमेटी पदाधिकारी चांद की तस्दीक कर घोषणा करेंगे। शहर काजी मुश्ताक अली नदवी ने बताया कि अगर चांद नजर आ गया तो 5 मई से ही इशा की नमाज के बाद से रमजान में होने वाली विशेष तरावीह शुरू हो जाएगी, और 6 मई को पहला रोजा होगा। अगर चांद नहीं दिखा तो पहला रोजा 7 मई को होगा।
बोहरा समाज के रोजे 5 मई से
दाउदी बोहरा समाज में रमजान की शुरुआत 5 मई से हो जाएगी। इस दिन पहला रोजा होगा। बोहरा समाज के हकीमउद्दीन सैफी के मुताबिक पिछले साल की तरह इस बार भी इंतजाम रहेंगे। तैयारियां भी जारी हैं।