ये माना जा रहा है कि कांग्रेस की सरकार में बने जिलों का दायरा भी कम हो सकता है। आने वाल समय में मोहन सरकार ने नए सिरे से सीमा निर्धारित करने प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग बनाया है। पहले चरण में सुझाव, भौतिक सत्यापन करने की 40 फीसदी कार्रवाई पूरी कर ली।
इन जिलों का दायरा होगा कम
मध्यप्रदेश में कांग्रेस-भाजपा सरकारों के बनाए छिंदवाड़ा-बैतूल जिले के दायरे को कम किया जा सकता है। साथ ही निवाड़ी जैसे छोटे जिले मर्ज हो सकते हैं। इतना ही नहीं अगर जरूरत पड़ी तो सरकार जिले, ब्लॉक और तहसीलों की संख्या बढ़ा भी सकती है। इन कामों को पूरा करने की शुरुआत हो चुकी है। बीते दिनों पहले आयोग के सदस्य विदिशा, सागर, राजगढ़, दमोह, छतरपुर, निवाड़ी, पन्ना, भोपाल, सीहोर, खरगोन, ग्वालियर, भिंड, मुरैना, श्योपुर व दतिया जैसे 25 जिलों तक पहुंच चुके। आमजन, जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठकें हो चुकी है। इसके लिए सुझाव भी लिए जा चुके हैं।
ये भी जानिए
- 1956 में मध्यप्रदेश गठन। कुल जिले 43
- 1972 में भोपाल राजनांदगांव, कुल 45
- 1998 में बड़े जिलों से 16 नए जिले। कुल 61
- 2000 में छग में 16 जिले गए। मप्र में 45 बचे। तब सीएम दिग्विजय सिंह।
- 2003 में अनूपपुर, बुरहानपुर व अशोकनगर बनाए। उमा भारती सीएम।
जानें कब-कब बने जिले
-एमपी में कुल 55 जिले हैं और 10 संभाग-वर्ष 2008 में दो जिले आलीराजपुर-सिंगरौली
-16 अगस्त 2013 में आगर-मालवा,
-एक अक्टूबर 2018 को निवाड़ी
-15 अगस्त 23 को मऊगंज
-चार सितंबर 2023 को पांढुर्ना, मैहर बनाए गए।