भोपाल

निर्भया के दोषियों को 6 साल बाद भी नहीं हुई फांसी, हमारी बेटियां तो आज भी डर के साए में जी रही हैं

एलएनआईयू में ‘वी द वुमन’ का आयोजन, दिल्ली में चलती बस में गैंगरेप का शिकार हुई निर्भया के पेरेन्ट्स ने बयां किया अपना दर्द, निर्भया की मां ने कहा – सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी लड़ाई बाकी

भोपालApr 09, 2019 / 08:02 am

hitesh sharma

Nirbhaya

भोपाल । एक बेटी का रेप हो जाता। परिवार और समाज उसी पर अंगुली उठाता है। उसे कहा जाता है कि तुम एफआईआर मत करो। तुम अपना नाम गुप्त रखो। अपना चेहरा छिपा लो। इधर, अपराधी के साथ कई लोग संवेदना जताने लगते हैं। मैं पूछती हूं आखिर दोषी कौन है? चेहरा तो अपराधियों को छिपाना चाहिए।

अपराधी लड़कियों से कहते हैं मैं तेरा हाल निर्भया जैसा कर दूंगा। यह हिम्मत उन्हें कहां से मिली? निर्भया गैंगरेप केस को आज 6 साल 4 माह हो गए। दोषियों को आज तक फांसी नहीं हुई। यदि उन्हें फांसी पर लटका दिया जाता तो समाज में छिपे अपराधियों को संदेश जाता। निर्भया केस में आरोपियों के मानवाधिकार की दुहाई दी जाती है।

कहा जाता है कि उन्हें भी जीने का हक है। क्या मेरी बेटी को जीने का हक नहीं था। मैं तो हर पल मरती हूं। अपराधियों को आज तक फांसी नहीं हुई। ये सरकार और न्यायपालिका का फ्लयोर है। यह बात एलएनआईयू में आयोजित वी द वुमन कार्यक्रम में निर्भया के मां आशादेवी ने कही।

10 दिन जिंदा रही, एक बूंद पानी को तरस गई
आशादेवी ने निर्भया के बारे में बताते हुए कहा कि वह दस दिनों तक जिंदगी और मौत से जूझती रही। एक बूंद पानी के लिए अंतिम पल तक तरसती रही। इतने दर्द में भी हमारा हाल पूछती थी, कहती थी आप परेशान मत होना, मैं ठीक हो जाऊंगी। मैं रोज उसके दिए बयान को पढ़ती थी कि कहीं कोई महत्वपूर्ण बात छूट नहीं जाए। विपक्ष के वकील हर बात को काटते थे, उनके तीखे सवालों ने हमें तोड़ दिया। रिश्तेदार कहते हैं कि जीवन में आगे बढ़ जाओ। मैं सोचती हूं कि बेटी को न्याय नहीं दिला पाई तो वैसे ही मर जाऊंगी।
कानून बदला, पर हालात नहीं
निर्भया के पिता बद्रीनाथ ने कहा कि इस केस ने देश का कानून बदल गया। सरकार बदल गई। लगा कि अब स्थितियां अच्छी हो जाएंगी। लेकिन अफसोस है कि देश में कुछ नहीं बदला। देश में अब भी बच्चियां सुरक्षित नहीं है। यदि अकेले मेरी बेटी निर्भया को इंसाफ नहीं मिलता तो दुख नहीं होता, लेकिन हजारों निर्भया आज भी कोर्ट में फैसला नहीं होने से न्याय का इंतजार कर रही है। उसका सपना था अपनों पैरों पर खड़े होने का। उसे पढ़ाने के लिए मैंने जमीन तक बेच दी। अब लोअर कोर्ट केस में लड़ रहे हैं कि अपराधियों को सजा कब होगी।

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