पुराने और देसी घरों की चमक गई किस्मत
छतरपुर जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर गढ़ा गांव के बागेश्वर धाम की प्रसिद्धी के साथ इलाके में कई बदलाव भी आए हैं। मुख्य मार्ग से कटे रहने वाले इस गांव में अब सड़क संपर्क बेहतर होने के साथ ही प्रॉपर्टी के दाम पांच गुना बढ़ गए हैं। वर्ष 2020 तक गांव में जमीन 2 लाख रुपए एकड़ में उपलब्ध हो जाती थी, लेकिन अब 10 लाख रुपए एकड़ तक दाम हो गए हैं। कथा के दौरान लाखों श्रद्धालुओं के आने के चलते गांव के घर-घर में होम स्टे खुल गए हैं। जहां सिर्फ एक गद्दा व सोने की जगह के बदले 100 से 500 रुपए प्रतिदिन की आमदनी हो रही है। ऐसे में गांव के पुराने व देसी घरों की कीमत भी 5 से 10 गुना तक बढ़ गई है।
रोजगार नहीं बढ़े लेकिन जमीनों के दाम दस गुना तक बढ़े
कोरोना के बाद से एकाएक चर्चाओं में आए पं. प्रदीप मिश्रा का आश्रम कुबेरेश्वर धाम सीहोर जिले से 12 किलोमीटर दूर स्थित है। जहां रोजगार के लिहाज से कोई खास बदलाव नहीं हुआ है। लेकिन जमीनों के दाम 10 गुना तक बढ़ गए हैं। यानी आश्रम के आसपास की जो जमीन पहले 10 से 12 लाख रूपए एकड़ में मिलती थी। वो जमीन अब 80 लाख से 1 करोड़ में बिक रही है। कुलमिलाकर आश्रम के जितनी नजदीक जमीन उतने दाम। इसी के साथ जब रूद्राक्ष महोत्सव होता है तब घर- घर होम स्टे शुरू हो जाता है। ये काम उस वक्त इतना तेजी से चलता है की लोग स्नान की व्यवस्था कर भी प्रति व्यक्ति 100 रूपए ले लेते हैं।
बागेश्वर धाम
चर्चित होने से पहले जमीन के भाव—चर्चित होने के बाद के भाव
2 लाख रूपए एकड़—-10 से 12 लाख रूपए एकड़
कुबेरेश्वर धाम
चर्चित होने से पहले जमीन के भाव—चर्चित होने के बाद के भाव
10 लाख रूपए एकड़—–80 लाख से 1 करोड़ एकड़
(ये आश्रम के नजदीक वाली जमीनों के भाव)