script1200 साल पहले खोया शिव-गौरी मंदिर का वैभव लौटेगा | The glory of Shiv-Gauri temple lost 1200 years ago will return | Patrika News
भोपाल

1200 साल पहले खोया शिव-गौरी मंदिर का वैभव लौटेगा

सीहोर: देवबड़ला में मिले पांच नए मंदिर, डेढ़ साल में बनकर होंगे तैयार

भोपालNov 27, 2023 / 07:00 pm

yashwant janoriya

1200 साल पहले खोया शिव-गौरी मंदिर का वैभव लौटेगा

1200 साल पहले खोया शिव-गौरी मंदिर का वैभव लौटेगा

भोपाल. सीहोर जिले के देवबड़ला में दो मंदिरों का पुननिर्माण होगा। यहां खुदाई में अब तक 15 मंदिर मिल चुके हैं। 16वें मंदिर के होने के प्रमाण मिले हैं, लेकिन ये जीर्ण-शीर्ण है। जल्द ही यहां उत्खनन शुरू होगा। शिव मंदिर करीब 60 फीट तो देवी मंदिर 40 फीट ऊंचा होगा। ये मंदिर डेढ़ साल में बनकर तैयार होंगे। स्थानीय पत्थरों से बने इन मंदिर समूह में शिव, विष्णु, गौरी, लक्ष्मी-नारायण, कार्तिक, देवी मंदिर हैं। अन्य मंदिरों में मूर्तिया नहीं मिली थी, लेकिन बनावट से पता चला कि पांच शिव मंदिर ही थे। गौरी और शिव मंदिर की डीपीआर बनाई जा रही है। गौरी मंदिर 42 तो शिव मंदिर 60 फीट ऊंचा होगा। समय के साथ यहां मिट्टी-पत्थर की दीवार भी टूट गई है। पानी और मिट्टी के कटाव से बचाने के लिए यहां फिर से दीवार भी तैयार की जाएगी।
बने चुके दो मंदिर
इन मंदिरों का निर्माण 11वीं-12वीं शताब्दी में हुआ था। पुरातत्वविदों के अनुसार प्राकृतिक आपदाओं और आक्रमण के चलते ये मंदिर ध्वस्त हो गए थे। 2016 में इसके बारे में पता चला था।
शुरुआत में यहां परमारकालीन 11 मंदिर चिन्हित किए थे
2020 में 52 फीट ऊंचा शिव मंदिर करीब 30 लाख की लागत से पुनर्निमित किया गया था। अभी दूसरे मंदिर का काम चला रहा है, जो भगवान विष्णु को समर्पित था। 42 फीट ऊंचे इस मंदिर के शिखर का हिस्सा का निर्माण शेष है, जल्द ही इसे पूरा कर लिया जाएगा। इस पर भी करीब 25 लाख का खर्च आया।

‘सांसारिक सुख को त्यागकर जो परमात्मा प्राप्ति के लिए प्रयास करता है उसे ही नित्यसुख मिलता है’
भोपाल. आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास की ओर से हर माह शंकर व्याख्यानमाला का आयोजन किया जाता है। रविवार को हुई व्याख्यानमाला के मौके पर स्वामी चित्प्रकाशानंद सरस्वती ने आचार्य शंकर द्वारा रचित ब्रह्मज्ञानावली माला के विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने अद्वैत वेदान्त के माध्यम से नित्यसुख और शाश्वत शांति के महत्व पर प्रकाश डाला। व्याख्यान का सीधा प्रसारण न्यास के यूट््यूब चैनल एकात्म धाम पर किया गया।
स्वामी चित्प्रकाशानंद सरस्वती ने कहा कि परमात्मा सबके हृदय में विद्यमान है। ब्रह्म को जानने वाला अनंत पारमार्थिक नित्य सुख को प्राप्त करता है। यह जगत तीनों कालों में नहीं रहता है, इसलिए इसकी अनित्यता शास्त्रों में प्रसिद्ध है। केवल ब्रह्म ही पारमार्थिक है, शाश्वत है। क्षणिक सांसारिक सुख को त्याग कर परमात्मा की प्राप्ति के लिए जो प्रयत्न करता है उसे ही नित्यसुख मिलता है। इसी अवस्था को मोक्ष कहा जाता है। ज्ञान ही इस नित्य वस्तु को प्राप्त कराता है क्योंकि नित्य वस्तु का निर्माण नहीं हो सकता।
वेदांत के माध्यम से कर रहे लोगों के जीवन का उत्थान: स्वामी चित्प्रकाशानंद सरस्वती, चैतन्य प्रदीप ट्रस्ट, बेलगांव के संस्थापक अध्यक्ष है। सन 1999 में स्वामी दयानंद सरस्वती से संन्यास दीक्षा ग्रहण की। एक धार्मिक मार्गदर्शक के रूप में संस्कृत तथा विभिन्न आध्यात्मिक ग्रंथों जैसे भगवद्गीता, उपनिषद आदि के विद्वान के रूप में वेदांत का प्रचार कर लोगों के जीवन का उत्थान कर रहे हैं। इसके साथ ही पुणे, बेलगांव और हुबली में हर माह दस दिन प्रवचन करते हैं। महाराष्ट्र और कर्नाटक में एम फॉर सेवा संस्था के समन्वयक के रूप में कार्यरत है।

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