मां पार्वती की वंदना कर मटकी नृत्य करती हैं कन्याएं
भोपाल। लोकराग समारोह में भोपाल के फूलसिंह माण्डरे और साथियों ने बुन्देली गायन की प्रस्तुति दी तो उज्जैन की प्रतिभा रघुवंशी व साथियों ने मटकी नृत्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की शुरुआत बुंदेली गायन से हुई। उन्होंने सोहर गीत- मैहर माता नें दये वरदान…, विवाह गीत- रेवा के रचे हैं ब्याव, चलो देखन चलें…, दिवारी गीत- आई दिवारी रे…,लोक भजन- मरघट में राम…, गीतों की प्रस्तुति दी। कार्तिक गीत बस हो गए भगवान… से अपनी प्रस्तुति को विराम दिया। दूसरी प्रस्तुति मटकी नृत्य की हुई। मालवी लोकगीत गणेश वंदना- सेवा म्हारी मानी लो गणेश देवता… से नृत्य का प्रारंभ हुआ। इसके बाद मालवी लोक नृत्य पारंपरिक ऊंची जो पालू तलाव…, म्हारो टूट गयो बाजू बंद…, और संजा लोक नृत्य पेश किया। मालवा में श्राद्ध पक्ष में 16 दिन तक कुंवारी कन्याएं गाय के गोबर से संजा मांडती हैं। उस संजा को फूलों से सजाती हैं और संजा के विभिन्न पारंपरिक गीत गाती हैं। ऐसी मान्यता है कि मां पार्वती इन दिनों माईके आईं हैं और कन्याएं मां पार्वती की वंदना कर रही हैं।