एक ओर जहां कुछ विधि विशेषज्ञों का कहना था कि संविधान का आधार समानता का अधिकार है। सरकार का यह कदम इसके खिलाफ है। अगर सुप्रीम कोर्ट से तय 50 फीसदी की सीमा के अंदर ही आरक्षण देने की व्यवस्था की जाती तो इस कदम के रास्ते कानूनी अड़चनें नहीं थीं।
वहीं कई के मुताबिक यह जल्दबाजी में लिया फैसला है। सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा 50 फीसदी तय कर रखी है। इसे कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। यदि इसे संविधान की 9वीं अनुसूची में डाला भी जाए तब भी कोर्ट इसकी समीक्षा कर सकता है। संविधान में आर्थिक आरक्षण की बात नहीं है।
इस फैसले से जहां मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल सहित कई जिलों में सवर्णों खुश दिख रहे है, वहीं कुछ इसे एक राजनैतिक चाल मान रहे हैं।
ये आरक्षण का मामला ही सरकार को मध्यप्रदेश में ले डूबा, अब यदि सरकार आर्थिक आधार पर आरक्षण की बात कर रही है। तो यह सबसे अच्छा फॉर्मूला होगा। लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उठाया गया ये कदम संदेह पैदा करता है, कि कहीं ये राजनैतिक चाल तो नहीं है।– विजय शर्मा, निवासी भोपाल
अब गरीब और जरूरतमंद का ही आरक्षण पर अधिकार होना चाहिए। सरकार का ये एकदम सटिक फैसला आम जनता को खुश करने वाला है।– केएल मिश्रा, निवासी भोपाल
वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार के इस फैसले की चर्चा सिर्फ सियासी गलियारे तक ही सीमित नहीं रही। बल्कि सोशल मीडिया पर भी लोग सरकार के इस फैसले को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।
कई लोग सरकार के इस फैसले का मजाक भी बना रहे हैं। ट्विटर पर कोई यह कह कर मजाक उड़ा रहा है कि ‘इससे राहुल पीएम बन जाएंगे’ तो कोई यह कह कर व्यंग्य कर रहा है कि ‘यह तो मोदी का एक और मास्टर जुमला है।’
ट्विटर पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के कई तरह के MEMES भी बनाए जा रहे हैं। कोई उन्हें गरीब जनेऊ धारी ब्राह्रमण बता रहा है तो कोई केंद्रीय कैबिनेट के इस फैसले को लॉलीपॉप बता रहा है।
वहीं एक यूजर तो यहां तक पूछ रहा है कि क्या इस आरक्षण के लिए जनेऊधारी राहुल भी इलिजिब्ल होंगे।
ये उनकी प्रधानमंत्री बनने में मदद करेगा।
एक यूजर ने चुटकी लेते हुए ट्विटर पर लिखा कि ‘अब से भविष्य में कोई पुल गिरेगा तो उसके लिए आरक्षण उत्तरदायी नहीं होगा, बल्कि पूरी गलती सीमेंट, बालू, गिट्टी की गुणवत्ता की होगी! क्यों मित्रों’ एक यूजर ने मोदी समर्थकों के मजे लेते हुए लिखा, ‘भक्तों की यात्रा… पहले कहते थे आरक्षण खत्म कर देना चाहिए। अब कहते हैं सवर्णों को आरक्षण देना मोदी सरकार का ऐतिहासिक कदम है।’
आरक्षण पर किसने क्या कहा…
इसके लिए 4 साल 8 महीने का इंजार किया। यह चुनावी छलावा है। आचार संहिता लगने में केवल 3 महीने बचे हैं। संविधान संशोधन के लिए आपके पास बहुमत नहीं’
– अभिषेक मनु सिंघवी, कांग्रेस
चुनाव के पहले भाजपा सरकार संसद में संविधान संशोधन करे। हम सरकार का साथ देंगे। नहीं तो साफ हो जाएगा कि यह मात्र भाजपा का चुनाव के पहले का स्टंट है।
– अरविंद केजरीवाल, आम आदमी पार्टी
सुप्रीम कोर्ट ने पहले से आरक्षण पर एक कैप लगाई है, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश से भाजपा को हार के बाद जो रिपोट्र्स मिल रही थी, उसके आधार पर भाजपा ने यह फैसला लिया है।
– डी राजा, भाकपा
‘सामान्य वर्ग को आरक्षण देने की मांग काफी समय से चल रही थी। मोदी सरकार ने यह सराहनीय पहल की है। इस फैसले से सामान्य वर्ग के उन लोगों को लाभ मिलेगा, जो आर्थिक कारणों से आगे नहीं बढ़ पा रहे थे।’
– विजय सांपला, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री
‘इसकी आवश्यकता पहले से थी, गरीब और सवर्णों को आरक्षण मिल रहा है मेरी नजर में यह सरकार का क्रांतिकारी कदम है।’– कैलाश विजयवर्गीय, भाजपा महासचिव