-टेक बीमारी की वजह से पॉश्चर बदल जाता है।
-गर्दन और रीढ़ की हड्डी की समस्याएं होने लगती है।
– रीढ़ की हड्डी का उभार बढ़ने के साथ गर्दम, पीठ , कंधों और सिर में दर्द होने लगता है।
टेक नेक के लक्षण
-गर्दन, पीठ और कंधों में लगातार दर्द।
-पीठ और कंधों में जकड़न।
-सिर को आगे पीछे घुमाने पर दर्द महसूस होना।
-कंधों का गोल आकार में झुके रहना।
-हाथों का सुन्न होना या झनझनाहट का अहसास होना।
जल्द आदत सुधारिए
अगर आप कम्प्यूटर पर ज्यादा देर तक काम करते हैं और आपके बैठने का तरीका भी गलत है तो संभल जाइए। मोबाइल स्क्रीन पर ज्यादा समय नहीं दीजिए। खासकर जब इस पर कुछ पढ़ते हैं तो आंखों पर ज्यादा जोर पड़ता है। अब यह आदत जल्द सुधारिए नहीं तो बुढ़ापा जल्दी आ जाएगा। इसके साथ ही आपको टेक नेक बीमारी भी घेर लेगी।
आप ही बीमार कर रहे बच्चों को
ऑनलाइन क्लास के लिए लैपटॉप और स्मार्टफोन लेकर बैठने वाले बच्चे घंटों एक ही अवस्था में बैठे रहते हैं। कई बार तो माता-पिता छोटे बच्चों को शांत करने के लिए स्मार्टफोन पकड़ा देते हैं। शहर के न्यूरो सर्जन के अनुसार, स्मार्ट फोन पर ज्यादा समय बिताने पर कारपेल टनेल सिंड्रोम की वजह से हाथ और बाहें सुन्न हो जाती हैं। उनमें झुनझुनी भी होती है। आगे चलकर इससे सिरदर्द, गर्दन और कंधों में दर्द के साथ चेहरे पर गहरे चकत्ते भी पड़ सकते हैं।
क्या करें
-स्क्रीन टाइम कम करें
-दर्द वाली जगह बर्फ से सिकाई करें।
-दर्द से राहत पाने के लिए सरसों, लवैंडर के गर्म तेल से मालिश करें।
-चार-पांच दिन से ज्यादा दर्द है तो चिकित्सक को दिखाएं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
-डॉ. सुनील पांडे, फीजियोथेरेपिस्ट का कहना है कि डिस्प्ले डिवाइस की लत सिर से लेकर रीढ़ की हड्डी तक में दर्द का कारण बन सकती है। फोन, कम्प्यूटर, लैपटॉप के सही इस्तेमाल से बुरे प्रभावों से बचा जा सकता है।
-डॉ. सृष्टि सिंह, पीएंडओ के अनुसार, स्मार्टफोन पर ज्यादा देर तक काम करने से लिगामेंट्स, मसल्स व गर्दन के ज्वाइंट्स पर दबाव बनता है। यह दर्द गर्दन से होते हुए सिर तक पहुंचता है। इसका प्रभाव साइकोलॉजी पर भी पड़ता है।