डीजल महंगा होने का तर्क बीसीएलएल द्वारा चार प्राइवेट बस आपरेटरों के माध्यम से लो फ्लोर बसों के संचालन में हो रही गड़बड़ी के मामले में एसएलटीसी ने आपत्ति जताई। प्राइवेट ठेकेदार अभी तक वाहन लाकर शहर में क्यों नहीं चला रहे हैं और बीसीएलएल आखिर क्यों इस लापरवाही पर कार्रवाई नहीं कर रहा है इस पर कमेटी ने तत्काल एक्शन लेने कहा था। शासकीय कमेटी से मिले निर्देश के बावजूद बीसीएलएल ठेकेदारों से सवाल जवाब करने की बजाय किस्तों में आ रहे वाहनों का उद्घाटन करवाने में व्यस्त है। अफसरों ने तर्क दिया है कि डीजल महंगा होने के चलते अब बाकी बसों लाने की योजना को निरस्त करने की तैयारी है।
किसे लाना थी कितनी बस दुर्गम्मा एवं एपी- वर्ष 2017 में टेंडर लिया। 250 बस लाना थी लेकिन अभी तक केवल 150 लाए। मां एसोसिएट ने वर्ष 2021 में टेंडर लिया। 300 वाहन लाने थे। अभी तक केवल 100 लाए हैं।
इनक्यूबेट हैदराबाद कंपनी मैं वर्ष 2021 ने टेंडर लिया। 300 सीएनजी बस लानी थीं। अभी तक केवल 60 लाए हैं। वर्जन——यदि ठेकेदारों ने टेंडर अनुसार शर्त का पालन नहीं किया है तो बोर्ड मीटिंग में इस जवाब मांगा जाएगा। जितनी बसों की जरूरत है उन्हें हर हाल में लाना होगा।
मनोज राठौर, एमआईसी प्रभारी, बीसीएलएल एक्सपर्ट कमेंट—–शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के नाम पर केवल बीसीएलएल की बसें ही चल रही हैं। सरकार को इसका नेटवर्क मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए। मेट्रो जैसे विकल्प महंगे हैं इसलिए ज्यादातर जनता लो फ़्लोर बसें ही इस्तेमाल करती है।
राजेंद्र कोठारी, पब्लिक ट्रांसपोर्ट एक्सपर्ट