सर्वे में 5 हजार प्लॉट खाली
सर्वे में पांच हजार प्लॉट खाली मिले थे, वहीं इस साल यह संख्या बढकऱ अब सात हजार तक पहुंच गई है। निगम ऐसे प्लॉट मालिकों को नोटिस देता है, लेकिन किसी पर कार्रवाई नहीं की गई। इसके अलावा कई क्षेत्रों में बड़े व्यावसायिक और रहवासी भवनों के बेसमेंट में भी पानी भरा हुआ है। कई बेसमेंट में तो तीन से चार फीट तक का पानी भर गया है। एमपी नगर के साथ अरेरा कॉलोनी, कोलार और पुराने शहर में सैकड़ों ऐसे भवन हैं जहां बेसमेंट में पानी भरा हुआ है।
साफ पानी में पनपता है डेंगू का मच्छर
दरअसल, डेंगू का मच्छर साफ पानी में ही पनपता है। बारिश का जमा पानी मच्छरों के प्रजनन के लिए सबसे मुफीद है। इस पानी में लार्वा को रोकने के लिए 136 टीमें काम कर रही हैं, लेकिन ये तमाम टीमें सिर्फ घरों में ही सर्वे कर रही हैं, अब तक खाली प्लॉटों पर प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई।
कभी नहीं होती सफाई
खाली प्लॉट मालिकों में से ज्यादातर खरीदकर इन्हें जस का तस छोड़ देते हैं और इनकी कीमत बढऩे का इंतजार करते हैं। ऐसे प्लॉट मालिक रहते कहीं और हैं और प्लॉट कहीं और खरीदते हैं। लिहाजा ये इन प्लॉटों की न तो कभी सफाई करवाते हैं और न ही फि लिंग। कई ने तो बाउंड्री तक नहीं बनवाई है। कभी कभार आकर ये देख जाते हैं कि उनके प्लॉट पर कोई कब्जा तो नहीं कर रहा।
डेंगू का बढ़ता दंश
145287 घरों में किया गया सर्वे
14684 घरों में मिला डेंगू फैलाने वाले लार्वा
1752258 कंटेनरों में देखा गया लार्वा
18245 कंटेनरों में मिले लार्वा को किया नष्ट
410 मरीज अब तक मिले डेंगू पॉजीटिव
4500 से ज्यादा डेंगू के संदिग्ध मरीज मिले
25 नए मरीज मिले
इधर, बुधवार को डेंगू के 25 मरीज सामने आए हैं। मंगलवार को हुई 60 संदिग्धों में की जांच में से 25 मरीजों में डेंगू पॉजीटिव पाया गया। शहर में डेंगू मरीजों की संख्या बढकऱ अब 445 हो गई है। बीते दो दिनों में ही डेंगू के 40 मरीज सामने आ चुके हैं। मंगलवार को भी 15 मरीजों में डेंगू पॉजीटिव मिला था।
दवा भी बेअसर
नगर निगम लार्वा मारने के लिए दवा का छिडक़ाव कर रहा है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि इन दवाओं का असर खत्म हो गया है। इसलिए इस बार इतनी बड़ी संख्या में मरीज सामने आ रहे हैं। दरसअल इन दवाओं के इस्तेमाल का खास तरीका और तय मात्रा होती है। यह जानकारी एंटी लार्वा कर्मचारी को होती हैं लेकिन नगर निगम और मलेरिया विभाग में काम कर रहे कर्मचारियों को इसकी टे्रनिंग नहीं दी जाती।
ऐसे में वह पानी में अपने हिसाब से कभी कम कभी ज्यादा दवा मिला देते हैं। इससे मच्छरों में इस दवा के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। दवा बेअसर होने का एक और बड़ा कारण है कि इसका लगातार उपयोग होना। पाइरेथ्रम को लगातार 15 सालों से उपयोग में लाया जा रहा है।
खाली प्लॉटों पर जुर्माना किया जा रहा है। इसके साथ ही खाली प्लॉटों में डीजल डलवाने और उन्हें खाली कराने का काम भी किया जा रहा है। – राजेश राठौर, अपर आयुक्त, नगर निगम भोपाल