अगर आप इस आम को खाना चाहते हो आप तो आपको सीजन का इंतजार करना ही पड़ेगा। मध्य प्रदेश में कुछ आम तो ऐसे मिलते हैं जिनको खाने के लिए एडवांस बुकिंग तक करनी पड़ती है। इनमें आमों की रानी नूरजहां और राजा महाराजाओं का आम सुन्दरजा भी है। वही जबलपुर में उगने वाले आम की कीमत जानकर आप भी हो हक्के बक्के हो जायेंगे।
कितने प्रकार के होते हैं आम
फलों का राजा आम कहा जाने वाला इसके भी कई प्रकार होते हैं जैसे दशहरी,लंगड़ा,चौसा,तोतापरी,नीलम,जर्दालू ऐसे अनेक प्रकार के आम पाए जाते हैं इन सब के अलग-अलग स्वाद होते हैं और लोगों की अपनी पसंद होती है आपको एक आम के बारे में जानकर हैरानी होगी एक आम का नाम नूरजहां भी है इसको आम की रानी भी कहा जाता है यह आम अपने बेहद स्वादिष्ट और अनोखे मीठे स्वाद और गुणों के चलते हैं दूसरे आम बरतरी रखता है
आम की रानी नूरजहां
आम की रानी नूरजहां आम सबसे पहले अफगानिस्तान में हुआ करते थे मुगल काल की एक ताकतवर रानी भी उन्हीं के नाम पर इस आम को पहचाना जाता है जिसका अर्थ है कि आमो कि रानी भारत में यह आम मध्यप्रदेश के इंदौर सिटी से करीब 250 किलोमीटर दूर कट्ठीवाड़ा में उगाया जाता है कट्ठीवाड़ा अलीराजपुर जिले में पड़ता है जो कि गुजरात के नजदीक भी है यहां कब बाद यह इतना फेमस है कि यहां पर लोग नूरजहां के पेड़ों के साथ सेल्फी भी लेने आते हैं
क्या है नूरजहां आम की कीमत
नूरजहां एक फल 3 किलो से लेकर 5 किलो तक होता है और यह 1 फीट से बड़ा भी होता है इसकी गुठली का वजन 150 से 200 ग्राम के बीच में होता है इसीलिए इसको आमों की रानी भी कहा जाता है और इस आम की कीमत 700 से लेकर 1300 तक होती है ये आम बहुत ही मीठा होता है और इसकी पैदावार भी बहुत सीमित होती है इस आम को चखने के लिए लोग पहले से ही एडवांस बुकिंग करवा देते हैं इसी के कारण इस नाम को बाजार तक आना ही नहीं पड़ता है नूरजहां के पेड़ आप तौर से जनवरी-फरवरी महीने से बौर आनी शुरू हो जाते हैं और जून से पल कितना तैयार हो जाता है
मियाजाकी आम
मध्यप्रदेश के जबलपुर स्थित फार्म में संकल्प परिहार ने एक विदेशी आम लगाया है, उसका नाम मियाजाकी है। इस आप की कीमत लाखो में है, लेकिन इस बार प्रचड़ गर्मी पड़ने से इस आम की पैदावार 50 फीसिदी गिर गई है। संकल्प सिंह बताते हैं कि इस बार गर्मी बहुत पहले ही आ गई थी जिसकी वजह से समय से पहले ही बौर आ गए, गर्मी के प्रकोप से बौर गिर गया। उसी के तरह स्वाद भी प्रभावित हो गया है। ये आम तब चर्चा में आया जब इस आम की सुरक्षा के लिए चार गार्ड और सात कुत्ते की तैनाती कर दी।
रीवा का सुन्दरजा आम भी है प्रसिद्ध
ये आम देखने में इतना सुंदन है की इसको खाने का मन ही नहीं करता है और वही इस सुंदरजा आम में इत्र जैसी खुशबू होती है। इसमें इतनी मिठास है कि आंख बंद कर इसे पहचाना जा सकता है। गोविंदगढ़ के किला परिसर में तैयार आम का बाग व सुंदरजा के पौधे राजघराने की देन है। सुंदरजा किस्म का आम महाराजाओं की खास पसंद में शामिल रहा है। अब इसकी मांग विदेशों तक में रहती है। इस आम की ये खासियत है की जब ये आम हरा रहता है, तो उस समय भी इसमें खट्टापन नहीं होता बल्कि आम मीठा होता है। पकने के बाद इस आम की मिठास दोगुनी हो जाती है। देश के अन्य हिस्सों मे सुंदरजा आम के फल व उसके पौधे की मांग लगातार बड़ती चली जा रही है।