डीजीपी बने सुधीर कुमार सक्सेना 1987 बैच के आईपीएस हैं और वर्तमान में केंद्रीय गृह मंत्रालय में कैबिनेट सेक्रेट्रियेट में सेक्रेटरी (सिक्योरिटी) पद पर प्रतिनियुक्ति पर है। केंद्र सरकार ने उनको रिलीव कर दिया है। नए डीजीपी को लेकर स्थिति स्पष्ट होने के बाद अब प्रदेश पुलिस मुखिया का जिम्मा सुधीर सक्सेना को सौंपा जाएगा। सक्सेना 2016 से केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं।
इसके पहले मध्य प्रदेश में 1992 से 2000 तक अलग-अलग जिलों में पुलिस अधीक्षक, 2012 से 2014 तक मुख्यमंत्री के ओएसडी और 2014 से 2016 तक इंटेलिजेंस चीफ रह चुके हैं। प्रदेश पुलिस में अहम पदों पर रहने के बाद वह केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर चले गए थे।
प्रदेश के तीन सीनियर आईपीएस का नाम डीजीपी के लिए चल रहा था। इनमें 1987 बैच के आईपीएस डीजी, होमगार्ड पवन कुमार जैन का नाम भी चर्चाओं में था। मध्यप्रदेश के नए डीजीपी की नियुक्ति को लेकर राज्य सरकार ने यूपीएससी को तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नामों का पैनल भेजा था।
सुधीर सक्सेना के अलावा आईपीएस पुरुषोत्तम शर्मा वरिष्ठता सूची में आगे थे, लेकिन वह निलंबन के चलते दौड़ से बाहर हो गए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार किसी भी प्रदेश का डीजीपी उस आईपीएस अफसर को बनाया जाए जिसका सेवकाल कम से कम छह माह बाकी हो। आईपीएस अरुणा मोहन राव भी 1987 बैच की आईपीएस अफसर हैं वह वरिष्ठता सूची में चौथा स्थान पर थी, वह मार्च में ही सेवानिवृत्त होने के चलते दौड़ से बाहर हो गई थीं।