इसके बाद बैगा जनजातीय नृत्य में करमा और फाग नृत्य की प्रस्तुति दी। बैगा समुदाय में फसल आने देवताओं के आगमन का प्रतीक है और कर्म फल मिलने का उदाहरण भी। यह नृत्य क्वार माह में किया जाता है। इस नृत्य में पुरुष खड़े होकर मांदर और महिलाएं गोल घेरा बनाकर घूम-घूम कर गीत गाते हुए नृत्य करती हैं। अगली कड़ी में कलाकारों द्वारा होली के अवसर पर किए जाने वाले फाग नृत्य की प्रस्तुति दी गई। इस प्रस्तुति में कलाकार दिलीप कुमार रठुरिया के साथ करीब 12 कलाकारों ने नृत्य प्रस्तुति दी।
हिंदी-भवन में विद्यार्थियों ने बिखेरे कविता के विविध रंग
भोपाल। हिंदी भवन की ओर से स्कूली विद्यार्थियों के लिए काव्य पाठ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व सांसद व हिंदी भवन न्यास के उपाध्यक्ष रघुनंदन शर्मा ने की। कार्यक्रम में बीस से अधिक विद्यालयों के पचास विद्यार्थियों ने भाग लिया। विजेताओं में ग्यारहवीं और बारहवीं के विद्यार्थी वर्ग में संजना यादव पहले, प्रतीक जोतवार व सृष्टि राजपूत दूसरे और प्रतिष्ठा मिश्रा तीसरे स्थान पर रहे। सांत्वना पुरस्कार राधिका मंडल व कुमार अमन ने पाया। इसी तरह नौवीं व दसवीं के विद्यार्थी वर्ग में शुभ्रीका सिंह ने पहला, अनुज श्रीवास्तव और अमृता सिन्हा ने दूसरा और प्रसून जैन ने तीसरा स्थान हासिल किया। आयुषी लोहारे व ममता वमनेरे को सांत्वना पुरस्कार मिला। कार्यक्रम का संयोजन पुस्तकालय प्रभारी सीमा नेमा ने किया।
मिट्टी का कल्पनाशील उपयोग संस्कृति की शुरुआत: पाटीदार
भोपाल। मिट्टी हमारे परिवेश का हिस्सा है लेकिन पर्यावरण की प्रतिकूलताओं का इस पर असर पड़ा है। पूजा की सामग्री से लेकर बच्चों के खिलौनों के निर्माण में मिट्टी का उपयोग हो रहा है। मिट्टी का कल्पनाशील उपयोग ही संस्कृति की शुरुआत है। ये बात भारत भवन के वरिष्ठ कलाकर्मी देवीलाल पाटीदार ने विज्ञान भवन में ‘मिट्टी आधारित मूर्ति निर्माण का महत्व एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोणÓ विषय पर मेपकास्ट में आयोजित कार्यशाला में कही। उन्होंने कहा कि माटी तकनीक में काम करने का विज्ञान पीछे छूट गया है।