किस तरह काम करेगा स्नेक कैचर सेंटर
वन विहार में स्नेक केचर सेंटर स्थापित करने का प्रस्ताव है। समितियों द्वारा लाए गए सांपों का यहां सबसे पहले डाक्टरों और वैज्ञानिकों द्वारा परीक्षण किया जाएगा। स्वस्थ सर्प को ही केंद्र स्वीकार करेगी। सांप को पकडऩे के बाद उन्हें कैचर सेंटर में एक माह के लिए रखा जाएगा। माह में चार बार ही सांप का जहर निकाला जाएगा। डायरेक्टर, वन विहार भोपाल के सूर्य प्रकाश तिवारी का कहना है कि वन विहार से डॉक्टर की एक टीम चेन्नई में भेजी गई थी। टीम ने अपनी रिपोर्ट दे दी है। रिपोर्ट के आधार पर प्रस्ताव वाइल्ड लाइफ के पास भेजा गया है।
रसल वाइपर सांप: एक्सपर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में पाया जाने वाला रसल वाइपर सांप सबसे जहरीला होता है। भारत के वर्षा वनों में पाया जाने वाला सांप मानव बस्तियों के आसपास रहना पसंद करता है। इसका जहर हिमोटॉक्सिक होता है।
सांप का जहर निकालने के इस काम में स्थानीय स्तर पर रोजगार की संभावनाए भी खुलेंगी। सांप पकड़ने का काम वन समितियों को दिया जाएगा। वन समितियों को सांप पकड़ने और उसके काटने से बचाव की ट्रेनिंग भी वन विभाग की टीम देगी।
एक सांप से एक माह में सिर्फ चार बार ही जहर निकाला जा सकता है। जहर निकालने के बाद उसे -10 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखा जाता है। इसके बाद उसका पाउडर बनाया जाता है। सांप पकड़ने के एक माह के अंदर ही उसे प्राकृतिक रहवास में छोड़ना आवश्यक होता है। प्रयोगशाला अप्रैल से जुलाई तक बंद रहती है।
सांप के जहर की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में अलग-अलग होती है। ऐसा कहा जाता है कि सांप के जहर की कीमत सोने की कीमत से भी मंहगा होता है। अलग-अलग सांपों के जगहर की कीमत भी अलग-अलग होती है। कहा जाता है कि 1.870 किग्रा जहर पाउडर की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगभग 14 करोड़ रुपए तक भी आंकी जा सकती है। एक ग्राम जहर की कीमत करीब 74,866 रुपए भी हो सकती है।