हालांकि इस बार राहत की बात ये है कि शुक्रवार नहीं होने के चलते इस बार पुलिस को खासी मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। वैसे भोजशाला में हजारों लोगों के जुटने की संभावना के चलते सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम किए गए है। आपको बता दें कि भारतीय पुरात्तव विभाग के प्रावधान के मुताबिक हिंदुओं को हर मंगलवार को पूजा और मुस्लिमों को हर शुक्रवार को नमाज अता करने की अनुमति मिली हुई है। वहीं, बसंत पंचमी पर भोजशाला में सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक पूजा-अर्चना करने का प्रावधान है।
1935 में मिली थी नमाज की अनुमति
आपको बता दें कि भोजशाल में नमाज और पूजा की व्यवस्था आजादी से पहले शुरू हुई थी। 1953 में धार स्टेट दरबार के दीवान नाडकर ने शुक्रवार को जुमे की नमाज अदा करने की अनुमति दी थीं। लगभग 83 साल पहले जारी किए गए इस आदेश के बाद भोजशाला को कमाल मौला की मस्जिद बताते हुए शुक्रवार को नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई थी। इसके बाद से ही यहां पर पूजा के साथ साथ नमाज भी अता की जाने लगी।
20 साल पहले बिगड़े हालात
इसके बाद लगभग 6 दशक तक धार में सबकुछ ठीक ठाक चलता रहा। लेकिन 1989 के बाद भोजशाला विवाद को अयोध्या आंदोलन के बाद हवा मिलने लगी। स्थिति ये हो गई कि दोनों समाज इस पर अपना हक जताने लगे। बीते दो दशक में कई बार यहां पर बसंत पंचमी के समय तनाव की स्थिति देखने को मिली। शुक्रवार के दिन बसंत पंचमी होने के चलते दोनों पक्ष कई बार आमने सामने आए और शहर के हालात फसाद की ओर बढ़ते चले गए। 2003, 2006 और 2013 को बसंत पंचमी शुक्रवार को होने के कारण यहां पर जोरदार विवाद देखने को मिला। 2013 में भी पूजा और नमाज को लेकर दोनों पक्षों में विवाद हुआ था। हालात इतने बिगड़े कि शहर में पथराव, आगजनी और जमकर तोड़फोड़ की गई।