हाल यह है कि जेपी और हमीदिया अस्पताल में रोजाना 50 के करीब बच्चों में स्टमक फ्लू के मामले सामने आ रहे हैं। ओपीडी की बात करें तो सोमवार को हमीदिया और जेपी अस्पताल में मरीजों की संख्या 6 हजार से अधिक रही।
जेपी अस्पताल के मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. योगेंद्र श्रीवास्तव के अनुसार ओपीडी में जनरल बुखार, खांसी व जुकाम के मरीज ज्यादा है। यह सीजनली इंफेक्शन है। मौसम के तापमान में बदलाव आने पर ऐसा हो रहा है। घबराने की जरूरत नहीं है। बस केवल खानपान व रहन सहन के प्रति सजग रहें।
विशेषज्ञों के अनुसार बीते कुछ दिनों से मौसम में लगातार बदलाव देखा जा रहा है। कभी तेज धूप तो कभी बरसात के कारण हो रहे बदलाव से बीमारियां तेजी से पनप रही हैं। ऐसे में तेज धूप और गर्मी से आने के बाद तुरंत ही ठंडा पानी, ठंडे पेय, नारियल पानी पीने और एसी में बैठने से नाक बहना, सिरदर्द, ठंड लगना, बदन दर्द, खांसी, बुखार और जुकाम हो रहा है। इस संक्रमण से बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक पीडि़त हैं।
बारिश के मौसम में वैसे भी मच्छरों का प्रकोप अधिक होता है। डेंगू, मलेरिया के केस बढ़ रहे हैं। हाल यह है कि शहर में डेंगू के मामलों की संख्या 155 हो गई है। इसको देखते हुए लगातार लार्वा सर्वे का काम किया जा रहा है। साथ ही हर दूसरे दिन चार से पांच घरों में लार्वा पाए जाने पर ऑन स्पॉट फाइन भी लगाया जा रहा है।
बच्चों की आंत में आ रही है सूजन
गैस्ट्रोएन्टराइटिस (स्टमक फ्लू) में पेट और छोटी आंत में सूजन हो जाती है। पीडि़त बच्चे को दिनभर में 3 से अधिक बार दस्त होते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो गैस्ट्रोएन्टराइटिस की बीमारी दूषित भोजन, पानी, जीवाणु, वायरल आदि कारणों के चलते होती है। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. शर्मिला रामटेके के अनुसार बारिश के मौसम में इसका अधिक खतरा रहता है। ऐसे में यदि बच्चों में भूख न लगना, पेट में सूजन, दर्द, मितली, चक्कर आना और बुखार जैसे लक्षण दिखें तो सतर्कता रखें।
गैस्ट्रोएन्टराइटिस (स्टमक फ्लू) में पेट और छोटी आंत में सूजन हो जाती है। पीडि़त बच्चे को दिनभर में 3 से अधिक बार दस्त होते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो गैस्ट्रोएन्टराइटिस की बीमारी दूषित भोजन, पानी, जीवाणु, वायरल आदि कारणों के चलते होती है। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. शर्मिला रामटेके के अनुसार बारिश के मौसम में इसका अधिक खतरा रहता है। ऐसे में यदि बच्चों में भूख न लगना, पेट में सूजन, दर्द, मितली, चक्कर आना और बुखार जैसे लक्षण दिखें तो सतर्कता रखें।
— बारिश में भीगने और तेज धूप के सीधे संपर्क में आने से बचें।
— तेज धूप और पसीने में ठंडा पानी न पीएं।
— मच्छरों से बचाव के लिए उचित उपाय करें।
— पूरी बाजू के कपड़े पहनें।
— किसी भी तरह की समस्या में चिकित्सक को दिखाएं।
— मर्जी से मेडिकल या घरों में रखी दवाएं लेने से बचें।
— तेज धूप और पसीने में ठंडा पानी न पीएं।
— मच्छरों से बचाव के लिए उचित उपाय करें।
— पूरी बाजू के कपड़े पहनें।
— किसी भी तरह की समस्या में चिकित्सक को दिखाएं।
— मर्जी से मेडिकल या घरों में रखी दवाएं लेने से बचें।